कानपुर(ब्यूरो)। डायबिटीज भी अब पैनडेमिक बन रही है। इसकी वजह से कई दूसरी प्रॉब्लम भी हो रही हैं। इसलिए डॉक्टर्स को इसके इलाज में मरीजों को दी जाने वाली दवाओं का बेहद सतर्कतापूर्वक सिलेक्शन करना चाहिए। जिससे मरीज के हार्ट, किडनी और ब्रेन पर कम से कम असर पड़े। मौजूदा दौर में इसके इलाज के लिए दो नई तरह की दवाएं आई हैं। जोकि ब्रेन, हार्ट और किडनी पर डायबिटीज के प्रभावों को कम करती हैं। आईएमए सीजीपी में यह जानकारी हैदराबाद से आए डॉ.(कर्नल)केवीएस हरी कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि 75 परसेंट डायबिटीज मरीजों की मौत हार्ट अटैक से हेाती है। इस दौरान प्रोग्राम डायरेक्टर डा। नंदिनी रस्तोगी एवं चेयरपर्सन प्रो। रिचा गिरि एवं प्रो। सौरभ अग्रवाल रहे।

नीम हकीम की वजह से ज्यादा प्रॉब्लम
सीजीपी में मुंबई से आए डा। कुशल मित्तल ने कहा कि देश की 50परसेंट आबादी कब्ज से पीडि़त है। जो बवासीर, फिशर, फ्यूश्चला की वजह बनती है। इस वजह से स्टूल पास होने में दिक्कत होती है। जब दर्द और खून आने लगता है तो नीम-हकीम के चक्कर में पडक़र अपनी फजीहत करा डालते हैं। अगर स्टूल पास होने में पांच मिनट से ज्यादा समय लगे तो तत्काल सतर्क हो जाएं। टायलेट में मोबाइल, अखबार, लैपटाप लेकर न जाएं। प्रोग्राम डायरेक्टर डा। शिवाकांत मिश्रा एवं चेयर पर्सन डा। वीके मल्होत्रा मौजूद रहे।

अच्छा खानपान अपनाएं
कब्ज से बचने के लिए हरी सब्जियां व मौसमी फल खूब खाएं। पानी भी लगातार पीते रहें। मोशन आने पर तत्काल जाएं, भूल कर भी न रोकें। आलू, मैदा, चावल से परहेज करें.खाने में भरपूर मात्रा में फाइबर लें। रात के वक्त ज्यादा खाने से बचे। जबकि ब्रेकफास्ट में ठीक से खाएं।

टीबी की पुष्टि के साथ रजिस्टेंस की जांच
दिल्ली से आईं डॉ। रितु नायर ने बताया कि टीबी मरीजों में ड्रग रेजिस्टेंस खत्म करने की दिशा में तेजी से काम हो रहा है। इसमें टीबी की दवाएं शुरू करने से पहले मरीज की पूरी प्रोफाइल बनाने के सुझाव दिए गए हैं। मरीज में टीबी की पुष्टि होने पर जीन एक्सपर्ट अल्ट्रा टेस्ट कराया जाएगा। इस एडवांस टेस्ट में बैक्टीरिया के आरपीओ जीन का पता लगाया जाता है। इन टेस्ट में 80 मिनट से कम समय लगता है। जांच की पूरी प्रोफाइल तैयार करने के बाद उसके आधार पर दवाएं चलाई जाती हैं। इस दौरान डा। राहुल गौतम व प्रो। विकास मिश्रा रहे।

तीन दिन बुखार तो सतर्क हो जाएं
मेडिकल कालेज की वाइस प्रिंसिपल व मेडिसिन डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो। रिचा गिरि ने बिना कारण के बुखार के कारण व इलाज पर चर्चा करते हुए कहा कि बुखार तीन दिन से ज्यादा समय तक आए.उसके कारण स्पष्ट न हो, ऐसे में मरीज को तीन दिन भर्ती कर उसकी संपूर्ण स्थिति पता करें। उसके बाद ही इलाज की दिशा तय करें। इस दौरान मरीज पर किसी प्रकार की एंटीबायोटिक का इस्तेमाल भूल कर न करें।