सरकार का कहना है कि इस सर्वेक्षण का मक़सद समस्या की जड़ तक जाना और ऐसे लोगों को वैकल्पिक जीविका उपलब्ध कराना है। भीख मांगने को ख़त्म करने की सरकार की कोशिशों के बावजूद राजधानी के अलावा देश के कई हिस्सों में भिखारियों की अच्छी-ख़ासी संख्या है। सरकार ने इस सर्वेक्षण के लिए 10 ग़ैर सरकारी संगठनों को काम सौंपा है।
रास्ता
बांग्लादेश के समाज कल्याण मंत्री इनामुल हक़ मुस्तफ़ा शहीद का कहना है कि इस सर्वेक्षण का मक़सद भिखारियों को खदेड़ना नहीं बल्कि उनकी सहायता का रास्ता निकालना है।
"जो भी अपने गाँव जाकर अपना जीवन नए सिरे से शुरू करना चाहता है, हम उनकी सहायता करेंगे। हम उन्हें व्यावसायिक प्रशिक्षण देंगे। हम वृद्धावस्था पेंशन भी देने को तैयार हैं। पुनर्वास कार्यक्रम के लिए हमें भिखारियों के बारे में सूचना की आवश्यकता है."
लेकिन कई मानवाधिकार संगठनों ने सर्वेक्षण के तरीक़े पर आपत्ति जताई है। इन संगठनों का तर्क है कि ढाका में भीख मांगना प्रतिबंधित है और किसी का अपने को भिखारी स्वीकार करना अपराध माना जा सकता है।
हालाँकि सरकार ने स्पष्ट किया है कि जो भी लोग इस सर्वेक्षण में हिस्सा लेंगे, उन्हें सज़ा नहीं दी जाएगी। सरकार इन लोगों को अलग-अलग श्रेणियों में पंजीकृत करेगी।
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