कानपुर (ब्यूरो) आतंकियों के पकड़े जाने के बाद नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) विशेष कोर्ट में हुई गवाहों की सुनवाई में जो बयान दर्ज हुए उसमें असलहा सप्लाई करने वाले बड़े रैकेट के काम करने की बात सामने आई है। हमीरपुर निवासी मोहम्मद शारिक ने दर्ज कराए बयानों में बताया कि उसने अपने साथी इसरार के साथ मिल कर राठ निवासी निम्मी से एक खराब पिस्टल खरीदी थी। उस पिस्टल को बेचना था। ये पहले ही तय हुआ था कि पिस्टल बिकने पर दोनों आधी-आधी रकम लेंगे। इसरार पिस्टल बेचने के लिए लोगों की तलाश कर रहा था। तभी इशरार ने बताया कि उसका जाजमऊ निवासी मित्र आतिफ है।

नवंबर 2016 में बेची थी पिस्टल

आतिफ होजरी का काम करता है। अक्सर उसे बाहर आना जाना रहता है। जिसके चलते वह पिस्टल खरीदना चाहता है। 20 हजार रुपये में पिस्टल बेचने का सौदा तय हुआ था। नवंबर 2016 में उसने पिस्टल 20 हजार रुपये में बेची थी। दोनों जानते थे कि पिस्टल खराब है। इसके बाद भी बेच दी थी। अगले दिन आतिफ ने पिस्टल वापस करने के साथ इसरार और शारिक से गाली-गलौज करके रुपये वापस करने के लिए दबाव बनाया था। जिसके बाद शारिक और इशरार ने मिल कर तय किया था कि अब न तो दूसरी पिस्टल देंगे और न ही रुपये वापस करेंगे। दबाव बनाया जाएगा तो दूसरे तरीके से निपट लिया जाएगा।

असलहा तस्करों की करते थे तलाश

आतंक के मास्टरमाइंड मोहम्मद गौस खान ने बताया कि शुरुआती दिनों में उनका काम बिना असहले के चलता रहा, लेकिन कुछ दिन बाद जब कानपुर में पिस्टल पकड़े जाने की बात सामने आई तो पूरी टीम एक्टिव हो गई। अपने मिलने वालों के साथ ही असलहा तस्करों की तलाश शुरू की गई। हालांकि ये बात किसी के गले नहीं उतर रही कि आतंक से जुड़े लोग मेड इन इंडिया असलहे पर विश्वास करते थे, लेकिन जांच के दौरान बयानों से मिली जानकारी कुछ ऐसी ही थी।