चिकित्सकों नें इयाद सैयद नाम के इस बच्चे के लिवर में कोशिकाएं प्रतिरोपित की, जिससे ख़राब हो चुके लिवर को ठीक होने में मदद मिली।
कोशिकाओं को प्रतिरोपित किए जाने से बच्चे के पूरे लिवर को बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ी। दानकर्ता के लिवर की कोशिकाओं को बच्चे के पेट में प्रतिरोपित किया गया, जिससे उसके शरीर में महत्वपूर्ण प्रोटीन और रसायन बनने लगे और वह एक अस्थायी लिवर की तरह काम करने लगा। दो हफ़्तों के भीतर बच्चे के लिवर में सुधार आने लगा।
बीबीसी के स्वास्थ्य संवाददाता के अनुसार डॉक्टर अब ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि इस तकनीक को दूसरे मरीज़ो पर इस्तेमाल करना संभव है या नहीं।
एल्गिनेट का प्रयोग
इयाद के डॉक्टर और लंदन के किंग्स कॉलेज अस्पताल के प्रोफ़ेसर अनिल धवन ने बीबीसी को बताया, ''इस तकनीक में कोशिकाओं को मरीज़ के शरीर में प्रतिरोपित किए जाने से पहले एक ख़ास तरह के पदार्थ एल्गिनेट में भिंगोया जाता है.''
प्रोफ़ेसर अनिल धवन के मुताबिक़ एल्गिनेट नाम का ये पदार्थ कोशिकाओं को ख़राब होने से रोकता है और इसी बीच लिवर की कोशिकाएँ शरीर के लिए ज़रूरी रसायन और प्रोटीन बनाने में मदद करती हैं।
इयाद सैयद के पिता जहाँगीर सैयद ने समाचार एजेंसी प्रेस एसोसिएशन (पीए) को बताया, ''जब हम इयाद को लेकर अस्पताल में आए थे तब इसकी हालत काफ़ी ख़राब थी। शुरू के कुछ दिनों तक उसको चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया था.'' जहाँगीर सैयद ने कहा कि उन्हे लगा था कि इयाद का लिवर पूरी तरह से बदलना पड़ेगा लेकिन उसकी हालत में अब काफ़ी सुधार आया है।
किंग्स कॉलेज अस्पताल में प्रतिरोपण विभाग के निदेशक डॉक्टर नाइजल हीटन ने समाचार एजेंसी पीए को बताया कि ये इलाज उन लोगो के लिए काफ़ी कारगर होगा जिनका लिवर ख़राब होने शुरू हुआ है।
अस्पताल के चिकित्सा दल के अनुसार यह पहला मौक़ा है, जब किसी दानकर्ता की कोशिकाओं को इस प्रकार से प्रयोग में लाया गया है
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