कानपुर (ब्यूरो) पुलिस को दिए बयानों में नंदलाल ने बताया कि उसे कोलकाता में ट्रेनिंग दी गई थी। ट्रेनिंग के दौरान प्रार्थना के साथ ब्रेनवॉश करने का तरीका बताया गया था। 45 दिन की ट्रेनिंग के बाद उसे कृष्णा नगर की चर्च में 15 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन पर धर्म के प्रचार के लिए रखा गया था। नंदलाल की गिरफ्तारी के बाद से उसके मोबाइल में जो भी संपर्क थे, उनमें संदिग्ध लोगों के फोन बंद हो गए थे। नंद लाल ने पुलिस को बताया कि गली में होने की वजह से कोई शक नहीं करता था। पहले संडे को प्रेयर होती थी, लेकिन कुछ दिनों से सप्ताह में दो बार होने लगी थी।
लोगों को देते थे प्रलोभन
पुलिस डायरी में दर्ज बयानों के मुताबिक अलग-अलग दिन अलग-अलग सहयोगी आते थे। पहचान न हो इसलिए रोटेशन से लोग भेजे जाते थे। रामादेवी से नई आबादी वाले इलाकों में लोग जाते थे। गरीब, दबे कुचले, बीमारी से ग्रसित, समाज के सताए हुए लोगों को टारगेट करते थे। जो व्यक्ति 150 से ज्यादा लोगों को समाज से जोड़ लेता था, उसे एक चर्च का पादरी बना दिया जाता है। कृष्णा नगर वाली चर्च में पुलिस का ताला लगने के बाद यहां आने वाले लोग अहिरवां की चर्च में चले गए थे। चर्च में लोगों को साहित्य बांटा जाता था। पर्दा लगाकर ईशू के जन्म से लेकर सलीब पर टांगने तक की सारी जानकारी बताई जाती थी।
हर महीने का बनता चार्ट
नंदलाल ने पुलिस को बताया कि चार्ट बना हुआ मिलता है कि इस महीने में क्या-क्या करना है? एक महीने बाद प्रोग्रेस रिपोर्ट भी चार्ट से ही देखी जाती है कि कितना काम हुआ है? नंद लाल के मुताबिक उसे ये नहीं पता कि चार्ट कहां से आता है और कहां जाता है? इस चार्ट की जांच भी पुलिस ने की लेकिन ये पता नहीं चल पाया कि आखिर ये चार्ट कहां प्रेपेयर किए जाते थे और इसकी रिपोर्ट किसके पास जाती थी।
फंडिंग ब्रेक होने से रफ्तार धीमी
जांच करने वाले तत्कालीन इंस्पेक्टर ने बताया कि एसबीआई की मदद से जांच के बाद ये पता चल गया था कि रुपये कहां से आ रहे हैैं। रुपये फुटकर में डाले जाते थे। कम से कम 500 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 5000 रुपये एक आदमी खाते में डालता था। छोटी-छोटी रकम ही बड़ी हो जाती थी। छोटी रकम होने की वजह से लोगों को शक भी नहीं होता था। एक साथ रुपये इकट्ठा होने पर लोगों को दिए जाते थे। नंद लाल ने अपने बयानों में पुलिस को बताया कि ये रकम उसे लोगों की परेशानी दूर करने और उन्हें धर्म से जोडऩे के लिए इस्तेमाल करनी होती थी।
नंदलाल से आगे नहीं बढ़ पाई पुलिस की इनवेस्टिगेशन
पुलिस की इनवेस्टिगेशन नंद लाल को जेल भेजने के बाद आगे नहीं बढ़ पाई। इसकी सही वजह न तो तत्कालीन इंस्पेक्टर चकेरी बता सके और न ही पुलिस अधिकारी। पुलिस के मुताबिक सत्संग से शुरू होकर लाइन मतांतरण तक जाती थी। नंदलाल के जेल जाने के बाद जब बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया तो वह खामोश हो गया। इसके बाद आगे की लाइन पूरी तरह से बंद हो गई। एक बार पुलिस ने नेपाल के जिस बैैंक से रुपये आए थे, वहां भी जांच की लेकिन इतनी सफाई से फंडिंग की गई थी कि किसी को बहुत ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई। इस वजह से जांच बंद हो गई।
जेल से छूटने पर प्रमोशन
जेल से छूटने के बाद नंदलाल का प्रमोशन हो गया। वह प्रार्थना कराने वाले से पॉस्टर बन गया। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो उसकी सैलरी भी बढ़ गई लेकिन वह लोगों की नजर से दूर हो गया। पुलिस सूत्रों की माने तो चाणक्यपुरी के सेंटर से कुछ तस्वीरेें मिली हैैं, जिनसे ये सिद्ध होता है कि नंदलाल निष्क्रिय नहीं हुआ बल्कि वह और तेजी से मासूमों के मतांतरण की मुहिम में शांिमल हो गया।
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जो भी कागज और तस्वीरें मिली हैैं। उनकी जांच की जा रही है। कृष्णा नगर वाली चर्च सीज है। चाणक्यपुरी और अहिरवां वाले मामलों में जांच चल रही है। विदेशी फंडिंग के इविडेंस मिले हैैं। तस्वीरों के आधार पर उन बच्चों को तलाशा जा रहा है जो चाणक्यपुरी लाए गए थे।
आनंद प्रकाश तिवारी, जेसीपी कानपुर कमिश्नरेट