तीन साल पहले सरकार ने इस प्रस्ताव को ख़ारिज कर दिया था लेकिन अब इससे गरीब आदिवासी समुदाय को होने वाले फ़ायदे को देखते हुए उसने इस नीति को बदलने का फ़ैसला किया है।

हाँलाकि पशु कल्याण समूह अभी भी इसका यह कहते हुए विरोध कर रहे हैं कि सिर्फ़ आनंद के लिए नमकीन पानी में रहने वाले मगरमच्छों को मारना अमानवीय होगा।

आदिवासी नेताओं का कहना है कि उत्तरी इलाके में मगरमच्छ सफ़ारी से नौकरियाँ बढ़ेंगी और दूरदराज़ के इलाकों में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

दुनिया के सबसे बड़े रेंगने वाले जंतुओं को सत्तर के दशक से ही ऑस्ट्रेलिया में संरक्षण मिलता रहा है.इससे पहले इनके व्यापक शिकार के कारण इनकी प्रजाति लुप्त होने के कगार पर पहुँच गई थी।

अब इनकी संख्या एक लाख के पार पहुँच गई है और ऑस्ट्रेलियाई सरकार का मानना है कि अब कुछ मगरमच्छों को मारने की अनुमति दी जा सकती है।

स्थानीय ज़मींदार जिदा गल्पलिल का मानना है कि यह एक अच्छा विचार है। ‘इस उद्योग में हमारी भागेदारी से कई लोगों को नौकरियाँ और प्रशिक्षण मिलेगा और मगरमच्छ प्रबंधन में हमारी भूमिका बढ़ जाएगी.’

लेकिन पशुओं के ख़िलाफ़ क्रूरता के विरुद्ध काम करने वाली ऑस्ट्रेलियाई रॉयल सोसाइटी के डॉक्टर बिदा जोंस कहते हैं कि मात्र तफ़रीह के लिए मगरमच्छों को मारने का कोई औचित्य नहीं हैं।

मगरमच्छों के शिकार के पीछे धारणा उन्हें विजय चिन्ह की तरह इस्तेमाल करने की है और दूसरे इन शिकारियों को मगरमच्छों को मानवीय ढ़ंग से मारने का प्रशिक्षण देने की भी कोई ज़रूरत नहीं समझी गई है।

उत्तरी क्षेत्र के प्रशासन के सामने वास्तव में यह एक गंभीर चुनौती है क्योंकि मगरमच्चों की बढ़ती संख्या के कारण डारविन के जल मार्गों और तेज़ी से बढ़ते उपनगरों में उनकी पहुँच बढ़ती जा रही है।

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