यह फैसला हाल ही में हुई उस घटना के बाद लिया गया है जिसमें एक मुस्लिम महिला ने पुलिस पर यह आरोप लगाया था कि उसके साथ नस्ल आधारित भेदभाव किया गया और राह चलते उससे जबरन बुर्का हटाने को कहा गया।

इस घटना के बाद बने इस क़ानून को लेकर न्यू साउथ वेल्स प्रशासन का कहना है कि पुलिस अब अपराध का शक होने और पहचान संबंधी ज़रूरतों के लिए कभी भी किसी को भी नक़ाब, बुर्का या धार्मिक पहचान के वस्त्र हटाने के लिए बाध्य कर सकती है।

नए क़ानून के तहत ऐसा न करने वालों पर छह हज़ार अमरीकी डॉलर तक का जुर्माना या एक से अधिक साल की कैद हो सकती है।

इस बीच नागरिक समाज के पैरोकारों को चिंता है कि नए नियम के तहत पुलिस को जो अधिकार दिए गए हैं वो आगे चल कर घातक साबित हो सकते हैं और स्वतंत्रता में बाधक हैं।

हालांकि इस्लामी संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि पुलिस अगर नियमों का दुरुपयोग न करे और मुस्लिम महिलाओं के साथ संवेदनशील रहे तो उन्हें इस तरह के नियमों से परहेज़ नहीं।

इस्लामिक फ्रेंडशिप असोसिएशन से जुड़े कैसर ट्रैड ने कहा, ''सरकार ने असल में इस नए कानून के ज़रिए नस्ली भेदभाव के मुद्दे को भुनाने वाले राजनीतिक दलों पर लगाम कसने का काम किया है। सभी धर्मों पर लागू ये कानून इस मामले में काफी सटीक है.''

सिडनी के एक विश्वविद्दालय में शरिया क़ानून पढ़ाने वाली जमीला हुसैन का कहना है, ''अगर आप एक इस्लामी देश के बाहर रह रहे हैं तो आपको उस देश के कानून मानने पड़ेंगे। अगर क़ानून कहता है कि ज़रूरत पड़ने पर बुर्क़ा हटाना होगा तो आपको सहयोग करना होगा। इसके लिए हमारे पास अब कोई बहाना नहीं.''

न्यू साउथ वेल्स में लागू हुए इस नए क़ानून के तहत बुर्का या नक़ाब हटाने से इंकार करने वाले पर छह हज़ार अमरीकी डॉलर तक का जुर्माना हो सकता है।

पश्चिमी आस्ट्रेलियाई सरकार भी अब अपने इलाकों में इस तरह के क़ानून पर विचार कर रही है।

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