दरअसल असांज ने आत्मकथा के इस प्रोजेक्ट को रद्द करने की कोशिश करते हुए ख़ुद को इससे अलग कर लिया था। प्रकाशक के अनुसार असांज ने 20 दिसंबर 2010 में कैननगेट बुक्स के साथ एक अनुबंध किया था जिसके तहत 'कुछ संस्मरण और कुछ घोषणा पत्र' जैसी एक पुस्तक लिखी जानी थी।
पुस्तक के लेखक के साथ लगभग 50 घंटों तक बैठकर इंटरव्यू देने के बाद उन्होंने तय किया कि वह कॉन्ट्रैक्ट रद्द करना चाहते हैं। प्रकाशकों के अनुसार असांज को इस पुस्तक से जुड़ी अनुबंध राशि पुस्तक से पहले ही दी जा चुकी थी और उस धन का इस्तेमाल असांज ने अपनी क़ानूनी लड़ाई में कर लिया।
बीबीसी को मिली जानकारी के अनुसार असांज ने लाखों डॉलर की अनुबंध राशि ली थी। अब असांज वह धन लौटाने की स्थिति में नहीं है इसलिए प्रकाशक दावा कर रहे हैं कि उनका कॉन्ट्रैक्ट मान्य है।
इन हालात में उन्होंने बिना असांज की सहमति के ही पुस्तक छापने का फ़ैसला कर लिया। उन्हें ये भी नहीं बताया गया था कि पुस्तक प्रकाशित कब होगी जिससे वह कहीं पहले ही पुस्तक की जानकारी सार्वजनिक न कर दें। अब इसे आत्मकथा का पहला अनाधिकारिक मसौदा कहा जा रहा है।
इस पुस्तक का एक प्रारूप बीबीसी ने देखा है। इसमें असांज के ऑस्ट्रेलिया में जीवन के शुरुआती हिस्से का ज़िक्र किया है और बताया है कि कैसे वह कंप्यूटर और हैकिंग की ओर आकर्षित हुए।
पुस्तक के कुछ हिस्से जो वास्तव में असांज के विचार होने का दावा करते हैं भले ही उस पर मतभेद हो, उसमें असांज कहते हैं कि वह ''संस्थानों की ऐसी प्राइवेसी या गोपनीयता के ख़िलाफ़ हैं जिसके ज़रिए संस्थान अपनी ग़लतियों की सच्चाई से बचने की कोशिश करते हैं। '' साथ ही असांज कहते हैं कि "जानकारियाँ सामने लाना उनका काम है मगर वह अफ़वाह फैलाने का काम नहीं करते."
पुस्तक में इस बात का भी ज़िक्र है कि कैसे असांज को विकीलीक्स को चलाने में परेशानियों का सामना करना पड़ा। साथ ही स्वीडन में हुई घटना पर असांज का मत क्या है ये भी पुस्तक में रखा गया है, वहीं की घटना के बाद उन पर यौन दुराचार के आरोप लगे थे।
वह अब भी कहते हैं कि संबंध दोनों की सहमति से बने थे और इस आरोप में वह दुर्भावना के साथ ही उन्हें फँसाने की चाल देखते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने मुख्यधारा के मीडिया पर भी हमला किया है और ख़ासतौर पर ब्रिटेन के गार्डियन अख़बार पर। इस अख़बार के ज़रिए ही असांज ने गोपनीय जानकारियाँ सार्वजनिक की थीं मगर बाद में वो समझौता टूट गया। पुस्तक में उन्होंने दावा किया है कि अख़बार ने उन्हें 'डबल क्रॉस' किया यानी उन्हें धोखा दिया।
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