कानपुर (ब्यूरो) माइनस दो डिग्री टेम्परेचर और साथ में बर्फबारी से हालात बद से बदतर। स्टूडेंट्स ने जान हथेली पर लेकर खुद को सेफ जगह पहुंचाने का प्लान बनाया। स्टूडेंट्स ने बताया कि जब वे बाहर निकलने की तैयारी कर रहे थे, फायरिंग और शेलिंग शुरू हो गई। चारों तरफ से यूक्रेन सेना ने घेर लिया। इसी बीच कुछ बच्चे और आ गए। हम लोग पैदल ही निकल लिए, फिर पलट कर नहीं देखा। चलते-चलते पैदल ही खारकीव रेलवे स्टेशन पहुंच गए।

34 घंटे से यूक्रेन-हंगरी पर फंसा बेटा
खारकीव से रोमानिया जाने के लिए दिन में 11 बजे एक ट्रेन रवाना हुई। ट्रेन में मौजूद स्टूडेंट्स ने बताया कि ट्रेन के कोचों के सारे शीशे पैक कर दिए गए थे। इसके बाद कोई ट्रेन नहीं थी। इसलिए जान बचाने के लिए ट्रेन में यात्रा करना मजबूरी बन गई थी। बिना खाने पीने के इंतजाम के सैकड़ों किलोमीटर दूर की यात्रा करने के लिए सैकड़ों बच्चे निकल पड़े। किदवईनगर निवासी डॉ। संजीव प्रताप सिंह के बेटे शांतनु ओडेसा मेडिकल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस के छात्र हैं। डॉ। संजीव ने बताया कि उनकी सोमवार शाम बेटे से फोन पर बात हुई तो उसने बताया कि वह यूक्रेन-हंगरी बार्डर पर है और करीब 14 घंटे से लाइन लगाए है, ताकि हंगरी की सीमा में प्रवेश कर सके। उसके साथ ही उसके तमाम दोस्त भी लाइन में खड़े हैं।

48 घंटे से लाइन में लगा है प्रशांत
श्यामनगर पीएसी लाइन निवासी नाहर सिंह ने बताया कि उनकी भी बेटे प्रशांत से रविवार देर रात बात हुई थी। तब वह रोमानिया की सीमा में प्रवेश करने वाला था। उसने बताया था कि रोमानिया पहुंचने पर उसका फोन बंद हो जाएगा, क्योंकि वहां का नेटवर्क दूसरा है और उसे नया सिमकार्ड लेना पड़ेगा। करीब 48 घंटे तक लाइन में लगने के बाद बेटे को रोमानिया की सीमा में प्रवेश मिल पाया। इसके बाद से बेटे से संपर्क नहीं हुआ है। संभवत: मंगलवार रात तक वह भारत पहुंच जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार थोड़े संसाधन और बढ़ाए, ताकि बच्चों को जल्दी भारत लाया जा सके।