कानपुर(ब्यूरो)। कानपुर आर्थोपेडिक एसोसिएशन की ओर से संडे को तिलक नगर में एक आर्थोस्कोपी कोर्स नाम से एक वर्कशॉप ऑर्गनाइज की गई। जिसमें देश के नामी हड््डी रोग विशेषज्ञ जुटे। बीसीसीआई के पूर्व स्पोट्र्स इंजरी स्पेशलिस्ट डॉ.अनंत जोशी बतौर चीफ गेस्ट पहुंचे। वर्कशॉप का इनॉग्रेशन करने के साथ ही आर्थोस्कोपी से जुड़े कई लेक्चर विशेषज्ञों ने दिए। इस दौरान कानपुर और आसपास के कई जिलों के आर्थोपेडिक एक्सपट्र्स मौजूद रहे। उन्होंने आर्थोस्कोपी तकनीक से घुटनों के इलाज के सही तरीके की जानकारी हासिल की। वहीं घुटने के साथ ओवरहॉल हेल्थ को लेकर अहम जानकारियां भी दी।
हर तरह की एक्सरसाइज
डॉ.अनंत जोशी ने घुटने और ओवरऑल फिटनेस को लेकर जानकारी देते हुए बताया कि साइक्लिंग करना घुटनों की सेहत के लिए जरूरी है,लेकिन सिर्फ एक तरह की एक्सरसाइज की बजाय योग, साइक्लिंग और जिम में एक्सरसाइज, इन तीनों को करना चाहिए। इसके लिए हफ्ते में 6 दिन का शेड्यूल बनाएं। हफ्ते में 3 दिन कम से कम 30 मिनट साइक्लिंग करें। अगले तीन दिन जिम में 30 मिनट तक एक्सरसाइज करें। और हफ्ते में 6 दिन रोज 30 मिनट तक योग करें। लगातार ट्रेडमिल पर दौडऩे या जागिंग करने से घुटनों पर जोर पड़ता है।
लेवल पर रखें हार्ट रेट
डॉ। जोशी ने बताया कि अपने हार्ट रेट को एक लेवल पर रखें। उम्र के हिसाब से आपके कार्डियोरेस्पेरेटरी सिस्टम को फिट रखने के लिए देखें कि आपकी हार्ट बीट 220 मैक्सिमम जाती है तो उससे अपनी उम्र को घटा दें। वही आपका मैक्सिमम हार्ट रेट है। जैसे फिटनेस बढ़ेगी पल्स रेट कम होगा। एक एथलीट का पल्सरेट कम होता है। डॉ.अनंत जोशी ने बताया कि योग और सूर्य नमस्कार से आपके शरीर में फ्लैक्सिबिलिटी बढ़ेगी। साइक्लिंग करने से स्टैमिना बढ़ेगा और जिम करने से मसल्स टोन और ताकतवर बनेंगी।
30 मिनट की एक्सरसाइज जरूरी
यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.आशीष कुमार ने बताया कि लोग ज्यादातर अपना वजन कम करने के लिए ही एक्सरसाइज करते हैं। उन्हें समझना चाहिए कि 20 मिनट की एक्सरसाइज के बाद बॉडी से फैट बर्न होना शुरू होता है। कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें। उन्होंने बताया कि अगर दो मंजिल तक बिना सांस फूले चढ़ जाते हैं तो आपकी कार्डियक फिटनेस ठीक है। उन्होंने बताया कि हर गठिया का इलाज सिर्फ नी रिस्पेसमेंट नहीं होता। यह स्टेज के हिसाब से तय होता है।
बार बार मोच आना सही नहीं
काठमांडू से आए डॉ.अमित जोशी ने आर्थोस्कोपी की नई विधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ज्यादातर लिगामेंट इंजरी घुटने या फिर शोल्डर की होती हैं। 4 से 6 हफ्ते में यह अगर सही नहीं होती हैं तो समझिए कि कुछ गड़बड़ है। उन्होंने बताया कि चलते चलते एंकल का अक्सर मुड़ जाना, पैर में बार बार मोच आना किसी गंभीर समस्या की निशानी होता है। इसे हल्के में न लें और डॉक्टर को दिखा इसकी वजह का पता लगाएं। इस दौरान प्रमुख रूप से एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ.एके अग्रवाल, डॉ.चंदन कुमार, डॉ.जीके सेंगर, डॉ.संजय रस्तोगी,डॉ.आरके सिंह समेत शहर के नामी हड्डी रोग विशेषज्ञ मौजूद रहे।