समाचार एजेंसी एपीपी के मुताबिक़, बीते साल 22 दिसम्बर को आरफ़ा को दिल का दौरा पड़ने के बाद गंभीर अवस्था में सेना अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आरफ़ा इसके बाद कोमा में चली गईं और उनका निधन हो गया। 'माइक्रोसॉफ़्ट सर्टीफ़ाइड प्रोफ़ेशनल' बनने के समय आरफ़ा की उम्र महज़ नौ वर्ष थी।
उनकी इस कामयाबी के बाद माइक्रोसॉफ़्ट के चेयरमैन बिल गेट्स ने उन्हें ख़ास तौर पर अमरीका बुलाया था और उनसे मुलाक़ात की थी।
उनके निधन की ख़बर से पाकिस्तान के लोगों को ग़हरा दुख हुआ है।
उनके जनाज़े की नमाज़ रविवार को सुबह लाहौर में अदा की गई थी। उसके बाद उनके पार्थिव शरीर को फ़ैसलाबाद ले जाया गया जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।
आरफ़ा एक महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रही थीं, जिसका मक़सद पाकिस्तान के कम विकसित इलाक़ों में रहने वाले बच्चों को सूचना तकनीक के क्षेत्र में अवसर मुहैया कराना था। वे भारत में 'सिलीकॉन वैली' की तर्ज़ पर पाकिस्तान में 'डिजीकॉन वैली' स्थापित करना चाहती थीं।
'फ़ातिमा जिन्ना स्वर्ण पदक' और 'सलाम पाकिस्तान युवा पुरस्कार' विजेता आरफ़ा के अस्पताल में भर्ती होने के बाद माइक्रोसॉफ़्ट के चेयरमैन बिल गेट्स ने उनके माता-पिता से बात की थी और उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों से हर संभव कोशिश करने का आग्रह किया था।
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