कानपुर(ब्यूरो)। क्या आप को पक्का यकीन हïै कि जो मोबाइल सिम आप यूज कर रहïे हïैं वो आपके हïी नाम हïै? आप कहेंगे हां, बिल्कुल, मैनें अपनी आईडी देकर प्रॉपर डिस्ट्रीब्यूटर से खरीदा है। इसके बावजूद किसी दिन आपके घर पुलिस पहुंचे और आप पर फोन के जरिए साइबर ठगी करने या अन्य आपराधिक गतिविधि को अंजाम देने का आरोप लगाए तो चौंकिएगा नहीं। क्योंकि जो सिम आप यूज कर रहे हैं वह यूज्ड सिम है और उसका इस्तेमाल साइबर ठगी में यूज किया जा चुका है। क्योंकि शहर में इस तरह का फर्जीवाड़ा चल रहा है। जिसमें आपकी आईडी और फोटो लेकर प्री-एक्टिवेटेड यानि यूज्ड सिम दे दिया जाता है और उसे नया समझ कर इस्तेमाल करने लगते हैं। ऐसे ही मामले में प्रयागराज और कानपुर में पुलिस ने दो बड़े गिरोहों का भंडाफोड़ कर शातिर डिस्ट्रीब्यूटर्स को गिरफ्तार किया है।
ऐसे होता है खेल
डिस्ट्रीब्यूटर आपकी आईडी और फोटो पर सिम एक्टिवेट करके रख लेते हैं। और इसे ज्यादा मुनाफे पर साइबर ठगों के गैंग और अन्य क्रिमिनल्स को बेच देते हैं। साइबर ठग इन सिम का इस्तेमाल कर ठगी की वारदातों को अंजाम देते हैं। फिरौती मांगने और आतंकी गतिविधियों में भी यूज किया जाता है। वारदात होने पर पीडि़त जब पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराता है तो शुरू होती है मामले की जांच। पुलिस सिम के सहारे जांच करते हुए आप तक पहुंचती है। पुलिस की बात सुनकर आपके पैरों तले जमीन खिसक जाती है।
फंस सकते हैं मुसीबत में
वहीं आप अपनी आईडी देकर जो सिम लाए हैं वो किसी और की आईडी पर इश्यू पर हुआ होता है। क्रिमिनल्स कई वारदातों में सिम का इस्तेमाल करने के बाद उसे डिस्ट्रीब्यूटर को वापस कर देते हैं। यही सिम डिस्ट्रीब्यूटर आपको पकड़ा देता है। किसी पुरानी वारदात की जांच करते समय इस सिम के सहारे भी पुलिस आप तक पहुंच जाती है। इसलिए नया सिम लेते समय बेहद सावधानी बरते हैं वरना आप बड़ी मुसीबत में फंस सकते हैं।
क्राइम ब्रांच ने किया भंडाफोड़
क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किए गएडिस्ट्रीब्यूटर्स की कुंडली खंगालनी शुरू की तो चौकाने वाले खुलासे हुए। मसलन कई साल से दोनों इस कंपनी के लिए काम कर रहे थे। कंपनी को मुनाफा और सेल देने की वजह से कंपनी ने कभी इनकी जांच नहीं की। चकेरी और लखनऊ में भी महीनों पहले इनके द्वारा दिए सिम पकड़े गए थे, लेकिन सेटिंग गेटिंग की वजह से कोई कार्रवाई नहीं हुई। साइबर ठगी के एक मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर ने दो आरोपियों को थाने से छोड़ दिया था। ये इंस्पेक्टर भी अधिकारियों के करीबी रहे हैैं।
ऐसे चेक करें, सिम यूज्ड है या नहीं
अपने मोबाइल सिम लेकर अपनी नेटवर्क प्रोवाइडिंग कंपनी के ऑथराइज सेंटर पर जाएं और सिम के पीछे लिखे पहली और दूसरी लाइन के नंबर को सिस्टम पर डालकर चेक कराएं। अगर सिस्टम में आपका नाम आता है तो ठीक अन्यथा आप यूज्ड सिम इस्तेमाल कर रहे हैैं। जिसकी वजह से आपके मोबाइल का आईईएमआई नंबर भी रिकॉर्ड में आ गया है। फौरन इसकी शिकायत कंपनी के साथ पुलिस को भी करें जिससे भविष्य में आने वाली परेशानी से बच सकें।
ठगों तक पहुंचने की चेन
ठगी के मामलों के खुलासे में लगी क्राइम ब्रांच को सफलता नहीं मिल पा रही थी। इसकी वजह ये बताई गई थी कि बड़ी संख्या में प्रि-एक्टिवेटेड सिम कंपनी से शातिरों ने इश्यू कर दिए गए थे। जिसके बाद पुलिस ने नेटवर्क प्रोवाइडिंग कंपनियों को नोटिस जारी करके इन नंबरों की और इनसे जुड़े नंबरों की लिस्ट मांगी थी, जिससे इन शातिरों तक पहुंचने में टीम को आसानी हो।
खातों में रकम पड़ी फ्रीज
साइबर सेल के सूत्रों की मानें तो ठगी के दर्जनों मामलों में पुुलिस ने खातों में पड़ी रकम फ्रीज करा रखी है। इन खातों को खोलने के लिए फर्जी आईडी इस्तेमाल की गई हैैं। साथ ही इन खातों को ऑपरेट करने के लिए जो मोबाइल नंबर इस्तेमाल किए जा रहे थे वे प्रि-एक्टिवेटेड सिम थे। जांच में लगी टीम की प्रोग्रेस इस वजह से बिल्कुल बंद हो गई है। बताते चलें कि कुछ दिन पहले ही प्रयागराज में पुलिस ने फर्जी आईडी पर इश्यू किए गए 500 से ज्यादा प्री-एक्टिवेटेड सिम बरामद किए थे। ये सिम यूपी में तमाम साइबर ठगों को बांटे गए थे।
कॉल डिटेल से मिली जानकारी
साइबर सेल सूत्रों की मानें तो कॉल डिटेल मिलने पर शातिरों तक पहुंचने की लाइन मिल रही है। जिससे कई मामलों का खुलासा तो होगा ही, साथ ही इन मामलों में ठगी में गए करोड़ों रुपये बरामद होंगे। डीसीपी क्राइम सलमान ताज पाटिल ने बताया कि कई जगह से यूज्ड सिम इस्तेमाल करने की बात सामने आई है। मेरी जनता से अपील है कि जिस नेटवर्क प्रोवाइडिंग सर्विस का सिम आप इस्तेमाल कर रहे हैैं, उसे जरूर चेक कर लें।
प्री-एक्टिवेटेड सिम से साइबर ठगी के कई मामले सामने आए हैैं। जिसके बाद सर्विस प्रोवाइडिंग कंपनियों को नोटिस जारी कर जानकारी मांगी गई है। जल्द ही पुलिस को बड़ी सफलता मिलेगी। नया सिम लेते समय आप जरूर अलर्ट रहें।
सलमान ताज पाटिल, डीसीपी क्राइम