सोमवार को चीन की एक अदालत ने कहा कि मध्यस्थों के जरिए ऐपल का प्रोव्यू से समझौत हो गया है। प्रोव्यू का दावा था कि चीन के बाजार में आईपैड नाम को इस्तेमाल करने का अधिकार उसके पास है जिसे उसने वर्ष 2000 में अपने नाम से पंजीकृत कराया था।

दूसरी तरफ ऐपल की दलील थी कि कंपनी ने 2009 में आईपैड नाम को इस्तेमाल करने के विश्वव्यापी अधिकार खरीद लिए थे। कुआंगतोंग प्रांत की अदालत ने दोनों कंपनियों से कहा था कि वे आपस में कोई समझौता करने की कोशिश करें।

सुलझ गया विवाद

कुआंगतोंग हाई पीपल्स कोर्ट के बयान में कहा गया है, “आईपैड विवाद सुलझ गया है। ऐपल इंक। ने मध्यस्थता पत्र में किए गए आग्रह के अनुसार छह करोड़ डॉलर की राशि कुआंगतोंग हाई कोर्ट के खाते में भेज दी है.”

ऐपल ने प्रोव्यू की ताइवानी शाखा से आईपैड के वैश्विक अधिकार 55 हजार डॉलर में खरीदे थे। लेकिन प्रोव्यू का कहना है कि उसकी शाखा को चीन के लिए अधिकार बेचने का कोई हक नहीं है।

इस विवाद के कारण ऐपल के आईपैड को चीन के कुछ हिस्सों में बाजार से हटाया भी गया था। इसी के चलते ऐपल का ताजातरीन आईपैड चीन के बाजार में देरी से उतारा जा सका। प्रोव्यू तो शंघाई में भी ऐपल के उत्पादों की बिक्री पर रोक लगवाना चाहती थी लेकिन उसकी इस मांग को अदालतों ने खारिज कर दिया। अब प्रोव्यू ने ऐपल से समझौता होने जाने की बीबीसी को पुष्टि की है। प्रोव्यू के मामले की अदालत में पैरवी करने वाले वकील मा तोंगशियाओ ने बताया, “मामला सुलझ गया है और दोनों पक्ष समझौते से संतुष्ठ हैं.”

समझदारी भरा कदम

चीन ऐपल के उत्पादों के लिए अमरीका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है और वहां उनकी मांग लगातार बढ़ रही है। हालांकि ऐपल को चीन में अब सैमसंग जैसी कंपनियों से कड़ी टक्कर भी मिलने लगी है।

विश्लेषकों का कहना है कि ऐपल चीन में अपने उत्पादों की बिक्री में किसी तरह की बाधा या रुकावट नहीं चाहती। इसलिए वो चीनी कंपनी को छह करोड़ डॉलर की रकम देने पर राजी हुई है। दरअसल इस विवाद के चलते बाजार में ऐपल की कुछ हिस्सेदारी उसके प्रतिद्वंद्वियों के पास चली गई है।

विश्लेषक एंड्रयू मिलरोय ने बीबीसी को बताया, “ऐपल ने इस विवाद को सुलझा कर समझदारी वाला काम किया है। इसके बाद ऐपल अपने नुकसान को कम से कम कर सकता है.” वैसे आईपैड नाम को लेकर विवाद सिर्फ चीन तक सीमित नहीं है।

प्रोव्यू ने अमरीका में भी ऐपल के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। लेकिन वहां की अदालतें इस मामले को खारिज कर चुकी हैं। विश्लेषकों का कहना है कि चीन में दोनों कंपनियों के बाद समझौता हो जाने के बाद अब संभवतः प्रोव्यू ऐपल के खिलाफ और कोई कदम नहीं उठाएगी।

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