कानपुर(ब्यूरो)। थाना पुलिस पर लगने वाले लेन देन के गंभीर आरोप और फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले में इनवेस्टिगेशन के दौरान किसी एक पक्ष की मदद करने के आरोपों से जिला पुलिस को शासन के एक डिसीजन से मुक्ति मिल जाएगी। जी हां शासन की उच्च स्तरीय बैठक में एंटी फ्रॉड सेल का गठन करने का निर्णय लिया गया है। एंटी फ्रॉड सेल फाइनेंशियल फ्रॉड और जमीनी विवाद के मामले में जांच करेगा। अब तक इन मामलों की जांच ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) करती थी, लेकिन इनवेस्टिगेशन के दौरान लगने वाले समय की वजह से शासन ने ये डिसाइड किया है
ऐसा होगा एंटी फ्रॉड सेल का ढांचा
विंग ए : केस दर्ज होने के बाद पहले एफआईआर विंग ए के पास जाएगी, जिसमें हर जिले में दो राजपत्रित अधिकारी होंगे। ये डिसाइड करेंगे कि इस मामले की इनवेस्टिगेशन किसे दी जाए?
विंग बी : एंटी फ्रॉड सेल की ये विंग ऑपरेशनल विंग कहलाएगी। इसमेें हर जिले में चार इंस्पेक्टर और आठ सब इंस्पेक्टर यानी दरोगा रहेंगे। इनकी मदद से लिए एक जिले में 16 पुलिस कर्मियों की तैनाती की जाएगी। इन इंस्पेक्टर्स, दारोगा और सिपाहियों की तैनाती परीक्षा के बाद होगी।
विंग सी : एंटी फ्रॉड सेल की सी विंग टेक्निकल विंग होगी। इनवेस्टिगेशन के दौरान होने वाली तकनीकी समस्याओं को हल करने के लिए विंग सी के जवान होंगे। हर जिले में तैनात चार सिपाही तकनीकी मामलों में पूरी तरह से जानकार होंगे।
विंग डी : पूरी जांच के बाद इस विंग के जवान विंग ए में तैनात राजपत्रित अधिकारी के निर्देश पर काम करेंगे। इस विंग में तैनात इंस्पेक्टर और दरोगा का काम गिरफ्तारी कर जेल भेजने और सजा दिलाने तक की जिम्मेदारी होगी।
थाने की पुलिस को मिलेगी मुक्ति
अब तक थाने की पुलिस को फाइनेंशियल फ्रॉड और लैैंड फ्रॉड के मामलों में केस दर्ज कर विवेचना करने के लिए निर्देशित किया जाता था। जिससे लॉ एंड ऑर्डर प्रभावित होता था और पुलिस को काम करने का समय नहीं मिल पाता था। नई व्यवस्था के तहत पुलिस के कंधों से जिम्मेदारी कम होगी और पुलिस पर लगने वाले आरोप भी पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। आपको बताते चलें कि कानपुर के ईओडब्ल्यू में दो दर्जन से ज्यादा मामलों की जांच चल रही है। ये सारे मामले 10 लाख से ज्यादा के फाइनेंशियल फ्रॉड के हैैं। हालांकि ईओडब्ल्यू कुछ मामलों के निस्तारण के बहुत करीब पहुंच चुकी है।
नहीं लगेगा ज्यादा समय
पुलिस अधिकारियों की माने तो इस सेल के पास केवल फाइनेंशियल और लैैंड फ्रॉड के मामले होंगे, लिहाजा इनके निस्तारण में समय नहीं लगेगा। साथ ही जमीन से जुड़े मामलों को इनवेस्टिगेशन के बाद तहसील के सुपुर्द करना होगा। कुल मिलाकर इन मामलों में चार्जशीट या फाइनल रिपोर्ट समय से लगानी होगी।
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&& शासन ने हर जिले में एंटी फ्रॉड सेल बनाने का निर्णय किया है। सभी अधिकारियों को बैठक कर निर्देश दिए गए हैैं।
प्रशांत कुमार, एडीजी एलओ