कानपुर(ब्यूरो)। अगर आप भी अपने पेशेंट को घर से अस्पताल ले जाने के लिए या फिर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल पेशेंट को ट्रांसफर करने के लिए एंबुलेंस बुक कर रहे हैं तो थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि जान बचाने वाली यह एंबुलेंस जान ले भी सकती है। हम ऐसा इस लिए कह रहे है कि सिटी में 169 अनफिट एंबुलेंस सडक़ों पर फर्राटा भर रही हैं। इनमें से अधिकतर शहर के जाने माने हॉस्पिटल्स की हैं। जिनकी एंबुलेंस एक-एक साल या फिर सालों से फिटनेस चेकिंग के लिए आरटीओ आफिस नहीं गई हैं। जिसका मतलब है कि वाहन सडक़ पर चलने के लिए फिट है या नहीं, इसका पता किसी को नहीं है।

नोटिस व मैसेज भी नजरअंदाज

सिटी की सडक़ों में फर्राटा भर रही अनफिट एंबुलेंस का आंकड़ा घटने के बजाए दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। इसका कारण हॉस्पिटल ओनर्स की लापरवाही है। आरटीओ अधिकारियों के मुताबिक सभी अनफिट एंबुलेंस के ओनर्स को नोटिस भेजी जा चुकी है। इसके अलावा रजिस्टर्ड नंबर पर व्हीकल की फिटनेस खत्म होने से दो दिन पहले से अलर्ट मैसेज भी जाता है। इसके बावजूद हॉस्पिटल ओनर्स एंबुलेंस की फिटनेस कराने को लेकर गंभीर नहीं हैं।

एक्सीडेंट पर ओनर होगा जिम्मेदार

आरटीओ प्रशासन ने बताया कि अनफिट एंबुलेंस पर कार्रवाई करने के लिए लिस्ट तैयार कर आरटीओ प्रवर्तन की टीम को दी गई है। जहां सडक़ पर अभियान चलाकर अनफिट एंबुलेंस मिलने पर सीज की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि नोटिस व मैसेज भेजने के बावजूद एंबुलेंस की फिटनेस न कराने वालों की एंबुलेंस से अगर कोई हादसा होता है तो उसके लिए जिम्मेदार एंबुलेंस ओनर होगा। यानी कि हॉस्पिटल होंगे। जिनके नाम यह एंबुलेंस रजिस्टर्ड हैं।

अन्य वाहनों से अधिक स्पीड

पूरी दुनिया में एंबुलेंस को जीवन रक्षा वाहन का दर्जा दिया जाता है। यही कारण है कि वीआईपी के लिए भले ही ट्रैफिक क्लियर न हो, एंबुलेंस के लिए ट्रैफिक पहले क्लियर कराया जाता है। बीते दिनों तो खुद पीएम ने अपनी सिक्योरिटी के प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए अपनी फ्लीट रोक कर एंबुलेंस को पास कराया था। क्योंकि किसी की जान से बढक़र कुछ भी नहीं है। एंबुलेंस में पेशेंट होता है। जिनको अस्पताल जल्द से जल्द पहुंचाने का प्रयास किया जाता है। इसी वजह से इनकी रफ्तार भी अन्य वाहनों से काफी अधिक होती है। ऐसे वाहनों की फिटनेस बेहद जरूरी है। बिना फिटनेस एंबुलेंस को तो एक दिन नहीं चलाया जा सकता।

ये हैं अनफिट एंबुलेंस

- रामा शिव हॉस्पिटल के नाम रजिस्टर्ड पांच एंबुलेंस

- रामा हॉस्पिटल व मेडिकल कॉलेज की दो एंबुलेंस

- वेदांता हॉस्पिटल के नाम रजिस्टर्ड एक एंबुलेंस

- रतनदीप हॉस्पिटल के नाम रजिस्टर्ड दो एंबुलेंस

- रजनी हॉस्पिटल के नाम रजिस्टर्ड दो एंबुलेंस

- तुलसी हॉस्पिटल के नाम रजिस्टर्ड दो एंबुलेंस

- ब्लू वर्ड के नाम रजिस्टर्ड एक एंबुलेंस

- एयरपोर्ट अथॉरिटी के नाम रजिस्टर्ड दो एंबुलेंस

- विकास डाग्नोस्टिक के नाम रजिस्टर्ड दो एंबुलेंस

- नारायणा हॉस्पिटल के नाम रजिस्टर्ड एक एंबुलेंस

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- 169 के लगभग एंबुलेंस सिटी में अनफिट दौड़ रहीं

- 450 से अधिक एंबुलेंस सिटी में रजिस्टर्ड हैं

- 10 साल से कई एंबुलेंस नहीं कराई है फिटनेस

- 6 माह से लगातार नोटिस भेजने के बाद भी असर नहीं

- 5 हॉस्पिटल टॉप 10 में, जिनकी एंबुलेंस सालों से अनफिट

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नोटिस भेजने के अलावा रजिस्टर्ड एंबुलेंस के ओनर के फोन नंबर पर मैसेज भी भेजे जाते हंै। इसके बाद भी फिटनेस नहीं कराने वालों की लिस्ट तैयार कर इनफोर्समेंट टीम को एंबुलेंस सीज के लिए दी जाती है। इनफोर्समेंट टीम समय-समय पर कार्रवाई करती रहती है। एक-दो दिनों में एंबुलेंस के खिलाफ सघन अभियान चलाया जाएगा।

राजेश सिंह, आरटीओ, प्रशासन