लंदन स्थित एक ‘आतंकवाद निरोधक’ संस्थान क्यूलियम के अनुसार अरबी भाषा की जिहादी वेबसाइट अल शमूक ने अपनी वेबसाइट पर इससे जुड़ी तस्वीरें जारी की हैं।
इस एनिमेशन फ़िल्म में दिखाया जाएगा कि कैसे सशस्त्र संघर्ष के दौरान वीरता के काम किए जाते हैं। अल शमूक पर इस फ़िल्म से जुड़ा लेख लिखने वाले ने अपना नाम अबू अल लइथ अल यमन बताया है।
क्यूलियम संस्थान चरमपंथी गतिविधियों की निगरानी करता है। क्यूलियम ने लेख के हवाले से कहा है कि कार्टून फ़िल्म का नाम 'अरब में अल क़ायदा' रखा गया है और इसमें बताया जाएगा कि इस्लाम धर्म का किसने अपमान किया और पैगंबर के साथ किसने धोखा किया।
क्यूलियम के अनुसार इस फ़िल्म का उद्देश्य बच्चों और युवाओं को इस्लामी जिहाद के रास्ते पर ले जाता है और इस फ़िल्म में सच्ची घटनाओं को भी ध्यान में रखा गया है। इस फ़िल्म में छापेमारी, सशस्त्र संघर्ष और हत्याएं के दृश्य भी हैं।
अल शमूक वेबसाइट पर लेख लिखने वाले अल यमन के अनुसार यह फिल्म उन टीवी चैनलों का विकल्प है जो युवाओं के बीच ज़हर फैलाता है। लेख लिखने वाले ने इसमें चार तस्वीरें डाली हैं जो संभवत फ़िल्म से ली गई हैं और दावा किया गया है कि फ़िल्म आखिरी चरण में है। लेखक ने लेख में पढ़ने वालों से प्रतिक्रिया देने की भी अपील की है।
संस्थान क्यूलियम के एक विशेषज्ञ नोमान बिनोटमैन कहते हैं, ‘‘ ये फ़िल्म असल में आएगी या नहीं पता नहीं लेकिन ये दर्शाता है कि मीडिया और नए चरमपंथियों की नियुक्ति के संदर्भ में कैसे अल क़ायदा का रुख बदला है.’’
बिनोटमैन कहते हैं, ‘‘अल क़ायदा आतंकवाद की तरफ युवाओं और बच्चों को आकर्षित करने के लिए नए उपाय तलाश रहे हैं.हालांकि कई मुसलिम इसे परिवार में फूट डालने के अल क़ायदा के प्रयास के रुप में भी देख सकते हैं। ’’
विशेषज्ञ कहते हैं कि अल क़ायदा का यह क़दम ये भी दर्शाता है कि अब संगठन गंभीर गतिविधियों की बजाय इस तरह की पब्लिसिटी के काम कर रहा है। कई और विशेषज्ञ ऐसे भी हैं जो मानते हैं कि यह फिल्म सच में आएगी।
अमरीकी सरकार के आतंकवाद निरोधक सलाहकार विल मैककैंट्स इसे असली फ़िल्म मानने से इंकार करते हैं लेकिन साथ ही कहते हैं कि जो स्क्रीन शॉट वेबसाइट पर हैं अगर वो सही में फ़िल्म से लिए गए हैं तो मानना पड़ेगा कि फ़िल्म तकनीकी रुप से बहुत उच्च स्तर की होगी और युवाओं को आकर्षित करेगी।
International News inextlive from World News Desk