कानपुर(ब्यूरो)। प्रत्येक व्यक्ति को सांस लेने के लिए साफ हवा और नॉन टॉक्सिक एनवायरमेंट का होना आवश्यक हैैं। देश में बढ़ती जनसंख्या, गाडिय़ों और कारखानों से निकलने वाले पॉल्यूशन समेत कई कारणों से हवा दूषित हो गई है। एयर क्वालिटी इंड़ेक्स (एक्यूआई) की बात करें तो सिटी में 150 से कम एक्यूआई किसी भी जगह का नहीं रहता है। ऐसे में अक्सर सफोकेशन की प्रॉब्लम होने लगती है जिससे दमा रोगियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। बाजार में महंगी कीमत वाले और आर्टिफिशियल तरीके से एयर क्वालिटी को बेस्ट बनाने वाले एयर प्यूरीफायर तो अवेलेबल हैैं, लेकिन आईआईटी कानपुर के एलुमिनाई संजय मौर्य ने पौधे से हवा को शुद्ध करने वाला एयर प्यूरीफायर बनाया है। प्यूरीफायर को बाजार में अपनी स्टार्टअप कंपनी यूब्रीद के जरिए लाया गया है। इनका दावा है कि 4999 कीमत से शुरू होने वाली इनकी डिवाइस 100 वर्गफीट के एक रूम की एयर क्वालिटी को बेस्ट बनाने के लिए काफी है। एरिया बड़ा होने पर डिवाइस का साइज और कॉस्ट बढऩे लगती है। इन्होंने आईआईटी कानपुर से 2013 में बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग) की पढ़ाई की है।
ऐसे आया आइडिया
एक अंग्रेजी हेल्थ पोर्टल को दिए हुए इंटरव्यू में संजय ने बताया कि कोरोना के समय आक्सीजन की डिमांड देख मैंने देखा कि साफ हवा किसी व्यक्ति के लिए कितनी जरूरी है। सोचा क्यों न मैैं भी एक सस्ता एयर प्यूरीफायर तैयार करूं जो कि आमजन को साफ हवा के साथ साथ कम दाम पर उपलब्ध हो। मैंने आईआईटी कानपुर में अपने सीनियर्स और फ्रेंड्स से जुडऩा शुरू किया। ग्राउंड लेबल पर रिसर्च करके मार्केट में उपलब्ध एयर प्यूरीफाइंग मशीनों की कीमत, वर्किंग प्रोसेस और अन्य विवरणों को जाना। उसक़े बाद उनसे अलग एक प्यूरीफायर को रेडी करने के लिए प्लान बनाया।
इस टेक्नोलॉजी पर काम करता है यूब्रीद
यूब्रीद ब्रीदिंग रूट्स टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है जो कि बायो फिल्टरेशन के माध्यम से प्रदूषित हवा को सोख लेता है और जड़ों तक पहुंचता हैैं। इसके बाद फाइटोरेमेडिएशन की मदद से प्रदूषित हवा जड़ों को छूने के बाद यूब्रीथ पॉट तक पहुंचती है और वहां से शुद्ध हवा का प्रोडक्शन होता है। यह डिवाइस हवा को शुद्ध करने वाले प्राकृतिक पत्तेदार पौधे के माध्यम से काम करती है। इसमें कमरे की हवा पत्तियों के साथ संपर्क करती है और मिट्टी-जड़ के क्षेत्र में जाती है जहां सबसे अधिक प्रदूषक शुद्ध होते हैं। इस प्रोडक्ट में यूज की जाने वाली टेक्निक अर्बन मुनार इफेक्ट है।
प्रोटोटाइप ने दुरूस्त की प्रोफेसर के बेटे की सेहत
संजय ने एक इंटरव्यू मेें बताया कि जब वह प्रोटोटाइप चरण में थे। तब वह आईआईटी कानपुर में प्रोफेसर के पास मेंटरशिप के लिए गए। वहां मुझे पता चला कि प्रोफेसर के बेटे को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। डॉक्टरों और विशेषज्ञों से परामर्श करने के बाद, हमें पता चला कि लडक़े को कमरे में मौजूद वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों से एलर्जी है। हमने उनकी हालत में सुधार करने की कोशिश की, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया और यही कारण था कि प्रोफेसर हमारे प्रोजेक्ट में शामिल हो गए, ताकि कोई समाधान खोजा जा सके। फिर हमने प्रोफेसर के घर और कमरों में प्रोटोटाइप का इस्तेमाल किया और दो महीने के भीतर उनके बेटे को बेहतर महसूस होने लगा। तब मुझे एहसास हुआ कि मैं सही दिशा में काम कर रहा हूं। आईआईटी रोपड़ की स्टार्टअप कंपनी अर्बन एयर लेबोरेटरी, जिसने इस उत्पाद को विकसित किया है। उसका दावा है कि यह दुनिया का पहला अत्याधुनिक स्मार्ट बायो-फ़िल्टरर है जो साँसों को ताज़ा कर सकता है। इसे आईआईटी रोपड़ में इंक्यूबेट किया गया है।
कुछ ऐसा है यूब्रीद
इस डिवाइस में एक पॉट में पौधे को लगाया जाता है। इसमें एक सेंट्रीफ्यूगल पंखा लगा है जो एयर प्यूरीफायर के अंदर एक एक सेक्शन प्रेशर बनाता है और 360 डिग्री दिशा में आउटलेट के माध्यम से जड़ों में बनी शुद्ध हवा को छोड़ता है। वायु-शोधन के लिए जिन विशिष्ट पौधों का परीक्षण किया गया, उनमें पीस लिली, स्नेक प्लांट और स्पाइडर प्लांट आदि शामिल हैैं।
आईआईटी रोपड़ के प्रोफेसर का दावा
आईआईटी रोपड़ के प्रोफेसर राजीव आहूजा ने दावा किया कि 150 वर्गफीट के एक कमरे में यह डिवाइस 15 मिनट में एक्यूआई को 311 से गिराकर 39 तक कर सकती है। उन्होंने इसका ट्रायल भी किया है।
आईआईटी ने ट्वीटर अकाउंट से किया ट्वीट
आईआईटी कानपुर ने अपने एलुमिनाई की सक्सेस स्टोरी के लिंक को ट्वीटर अकाउंट मेें शेयर किया है। आईआईटी के अधिकारियों ने कहा कि हमारे एलुमिनाई और स्टूडेंट्स देश को कुछ नया देने का काम कर रहे हैैं। ऐसे प्रोडक्ट डेवलप किए जा रहे हैैं जो कि जन उपयोगी हैैं।