कानपुर (ब्यूरो)। इंजीनियरिंग कॉलेजों में खाली सीटों और टीचर्स की कमी का एआईसीटीई ने तोड़ निकाल लिया है। कोर इंजीनियरिंग ब्रांच के टीचर्स को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), डाटा साइंस और डिप लर्निंग समेत अलग अलग इमरजिंग ब्रांच के सब्जेक्ट्स में पारंगत करने के लिए क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (क्यूआईपी) को लांच किया है। इस प्रोग्राम में केवल इंजीनियरिंग कॉलेजों के टीचर ही अप्लाई कर सकते हैैं। इस दौरान टीचर्स को इमरजिंग ब्रांच की पढ़ाई कराई जाएगी। इस प्रोग्राम के लिए एआईसीटीई की ओर से इंजीनियरिंग, फार्मेसी और पॉलिटेक्निक लेबल पर देश में अलग अलग स्थानों पर सेंटर्स भी बना दिए गए हैैं।
क्यों पड़ी आवश्यकता
एआईसीटीई के अफसरों ने बातचीत मेें बताया कि बीते सालों में कॉलेजों की ओर से मिली रिपोर्ट में सामने आया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स का कोर इंजीनियरिंग ब्रांचों में रुझान कम है, इस कारण से सीटें खाली रह जाती हैैं। वहीं कोर ब्रांचों में टीचर्स की अधिकता हैैं। इसके अलावा इमरजिंग ब्रांचों में सीटें सबसे पहले भर जाती हैैं। वहां पर स्टूडेंट ज्यादा हैैं और टीचर्स कम हैैं। इस रेशियो को ठीक करने के लिए क्यूआईपी को लांच किया गया है।
हर ब्रांच का स्टूडेंट पढ़ रहा इमरजिंग सब्जेक्ट
आज के समय में इलेक्ट्रीकल, मैकेनिकल और सिविल समेत सभी कोर ब्रांच के स्टूडेंट्स को इमरजिंग सब्जेक्ट्स पढऩे पड़ रहे हैैं। टेक्निकल यूनिवर्सिटीज सिलेबस को अपडेट करते समय इलेक्टिव सब्जेक्ट के स्थान पर कई सब्जेक्ट्स को शामिल कर रही है। इनमें कई इमरजिंग सब्जेक्ट होते हैैं। उदाहरण के तौर पर एचबीटीयू के पेंट टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स को न्यू सिलेबस में एआई को भी पढऩा होगा। ऐसे में अगर पेंट ब्रांच के टीचर को एआई की जानकारी नहीं होगी तो वह स्टूडेंट को भी पढ़ा पाने में सक्षम नहीं होगा। इसके अलावा कोडिंग जैसे सब्जेक्ट को तो आजकल हर ब्रांच का स्टूडेंट सीख रहा है। ऐसे में क्यूआईपी टीचर के लिए जरुरी है।
कुछ इस तरह बने सेंटर
क्यूआईपी के लिए एआईसीटीई ने देश में कई स्थानों पर सेंटर्स को खोला है। इंजीनियरिंग में 83, फार्मेसी में 13 और पॉलिटेक्निक के लिए 10 सेंटर खोले गए है। इन सेंटर्स में मास्टर और पीएचडी प्रोग्राम की पढ़ाई भी होगी।
कोट
टीचर्स को समय समय पर अपडेट करने की आवश्यकता होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए एआईसीटीई ने क्यूआईपी को लांच किया है। इसका बेनीफिट टीचर और स्टूडेंट दोनों को मिलेगा।
प्रो। टीजी सीताराम, चेयरमैन, एआईसीटीई
इंजीनियरिंग कॉलेजों में खाली सीटों और टीचर्स की कमी का एआईसीटीई ने तोड़ निकाल लिया है। कोर इंजीनियरिंग ब्रांच के टीचर्स को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), डाटा साइंस और डिप लर्निंग समेत अलग अलग इमरजिंग ब्रांच के सब्जेक्ट्स में पारंगत करने के लिए क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (क्यूआईपी) को लांच किया है। इस प्रोग्राम में केवल इंजीनियरिंग कॉलेजों के टीचर ही अप्लाई कर सकते हैैं। इस दौरान टीचर्स को इमरजिंग ब्रांच की पढ़ाई कराई जाएगी। इस प्रोग्राम के लिए एआईसीटीई की ओर से इंजीनियरिंग, फार्मेसी और पॉलिटेक्निक लेबल पर देश में अलग अलग स्थानों पर सेंटर्स भी बना दिए गए हैैं।
क्यों पड़ी आवश्यकता
एआईसीटीई के अफसरों ने बातचीत मेें बताया कि बीते सालों में कॉलेजों की ओर से मिली रिपोर्ट में सामने आया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स का कोर इंजीनियरिंग ब्रांचों में रुझान कम है, इस कारण से सीटें खाली रह जाती हैैं। वहीं कोर ब्रांचों में टीचर्स की अधिकता हैैं। इसके अलावा इमरजिंग ब्रांचों में सीटें सबसे पहले भर जाती हैैं। वहां पर स्टूडेंट ज्यादा हैैं और टीचर्स कम हैैं। इस रेशियो को ठीक करने के लिए क्यूआईपी को लांच किया गया है।
हर ब्रांच का स्टूडेंट पढ़ रहा इमरजिंग सब्जेक्ट
आज के समय में इलेक्ट्रीकल, मैकेनिकल और सिविल समेत सभी कोर ब्रांच के स्टूडेंट्स को इमरजिंग सब्जेक्ट्स पढऩे पड़ रहे हैैं। टेक्निकल यूनिवर्सिटीज सिलेबस को अपडेट करते समय इलेक्टिव सब्जेक्ट के स्थान पर कई सब्जेक्ट्स को शामिल कर रही है। इनमें कई इमरजिंग सब्जेक्ट होते हैैं। उदाहरण के तौर पर एचबीटीयू के पेंट टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स को न्यू सिलेबस में एआई को भी पढऩा होगा। ऐसे में अगर पेंट ब्रांच के टीचर को एआई की जानकारी नहीं होगी तो वह स्टूडेंट को भी पढ़ा पाने में सक्षम नहीं होगा। इसके अलावा कोडिंग जैसे सब्जेक्ट को तो आजकल हर ब्रांच का स्टूडेंट सीख रहा है। ऐसे में क्यूआईपी टीचर के लिए जरुरी है।
कुछ इस तरह बने सेंटर
क्यूआईपी के लिए एआईसीटीई ने देश में कई स्थानों पर सेंटर्स को खोला है। इंजीनियरिंग में 83, फार्मेसी में 13 और पॉलिटेक्निक के लिए 10 सेंटर खोले गए है। इन सेंटर्स में मास्टर और पीएचडी प्रोग्राम की पढ़ाई भी होगी।
कोट
टीचर्स को समय समय पर अपडेट करने की आवश्यकता होती है। इसी को ध्यान में रखते हुए एआईसीटीई ने क्यूआईपी को लांच किया है। इसका बेनीफिट टीचर और स्टूडेंट दोनों को मिलेगा।
प्रो। टीजी सीताराम, चेयरमैन, एआईसीटीई
इंजीनियरिंग कॉलेजों में खाली सीटों और टीचर्स की कमी का एआईसीटीई ने तोड़ निकाल लिया है। कोर इंजीनियरिंग ब्रांच के टीचर्स को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), डाटा साइंस और डिप लर्निंग समेत अलग अलग इमरजिंग ब्रांच के सब्जेक्ट्स में पारंगत करने के लिए क्वालिटी इंप्रूवमेंट प्रोग्राम (क्यूआईपी) को लांच किया है। इस प्रोग्राम में केवल इंजीनियरिंग कॉलेजों के टीचर ही अप्लाई कर सकते हैैं। इस दौरान टीचर्स को इमरजिंग ब्रांच की पढ़ाई कराई जाएगी। इस प्रोग्राम के लिए एआईसीटीई की ओर से इंजीनियरिंग, फार्मेसी और पॉलिटेक्निक लेबल पर देश में अलग अलग स्थानों पर सेंटर्स भी बना दिए गए हैैं।
क्यों पड़ी आवश्यकता
एआईसीटीई के अफसरों ने बातचीत मेें बताया कि बीते सालों में कॉलेजों की ओर से मिली रिपोर्ट में सामने आया कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स का कोर इंजीनियरिंग ब्रांचों में रुझान कम है, इस कारण से सीटें खाली रह जाती हैैं। वहीं कोर ब्रांचों में टीचर्स की अधिकता हैैं। इसके अलावा इमरजिंग ब्रांचों में सीटें सबसे पहले भर जाती हैैं। वहां पर स्टूडेंट ज्यादा हैैं और टीचर्स कम हैैं। इस रेशियो को ठीक करने के लिए क्यूआईपी को लांच किया गया है।
हर ब्रांच का स्टूडेंट पढ़ रहा इमरजिंग सब्जेक्ट
आज के समय में इलेक्ट्रीकल, मैकेनिकल और सिविल समेत सभी कोर ब्रांच के स्टूडेंट्स को इमरजिंग सब्जेक्ट्स पढऩे पड़ रहे हैैं। टेक्निकल यूनिवर्सिटीज सिलेबस को अपडेट करते समय इलेक्टिव सब्जेक्ट के स्थान पर कई सब्जेक्ट्स को शामिल कर रही है। इनमें कई इमरजिंग सब्जेक्ट होते हैैं। उदाहरण के तौर पर एचबीटीयू के पेंट टेक्नोलॉजी के स्टूडेंट्स को न्यू सिलेबस में एआई को भी पढऩा होगा। ऐसे में अगर पेंट ब्रांच के टीचर को एआई की जानकारी नहीं होगी तो वह स्टूडेंट को भी पढ़ा पाने में सक्षम नहीं होगा। इसके अलावा कोडिंग जैसे सब्जेक्ट को तो आजकल हर ब्रांच का स्टूडेंट सीख रहा है। ऐसे में क्यूआईपी टीचर के लिए जरुरी है।
कुछ इस तरह बने सेंटर
क्यूआईपी के लिए एआईसीटीई ने देश में कई स्थानों पर सेंटर्स को खोला है। इंजीनियरिंग में 83, फार्मेसी में 13 और पॉलिटेक्निक के लिए 10 सेंटर खोले गए है। इन सेंटर्स में मास्टर और पीएचडी प्रोग्राम की पढ़ाई भी होगी।