कानपुर (ब्यूरो) मेडिकल छात्र निर्दोष ने बताया कि जिस दिन यूक्रेन पर रूस ने हमला किया, वह क्लास में थे। माहौल खराब होने पर सभी एक साथ फ्लाइट बुक कराने का प्रयास करने लगे तो टिकटें भी उपलब्ध नहीं थीं। जिसे देखते हुए उनकी यूनिवर्सिटी के छात्रों ने प्राइवेट बसें बुक कीं। 25 फरवरी को वह लोग पासपोर्ट व जरूरी सामान लेकर बस से रोमानिया बार्डर के लिए निकले। बार्डर से करीब 30 किमी। दूर उन्हें छोड़ दिया। भीषण ठंड के कारण स्थिति बेहद खराब थी। किसी तरह बॉर्डर पहुंचे तो वहां जबरदस्त भीड़ थी। यक्रेन की सेना द्वारा 500 यूक्रेनवासियों के बाद 50 अन्य देशों के लोगों को बार्डर से निकलने दे रही है। इस दौरान यूक्रेनी सैनिक भारतीय व अन्य देशों के लोगों से मारपीट भी कर रहे हैं। किसी तरह रोमानिया से निकलने के बाद वह इस्तांबुल पहुंचे। उन्होंने बताया कि केवल यूक्रेन में ही भारतीयों को मदद नहीं मिल पा रही है। रोमानिया, स्लोवाकिया, पौलैंड और हंगरी पहुंचने के बाद भारतीयों की पूरी मदद की जा रही है।