कानपुर(ब्यूरो)। गंगा को स्वच्छ बनाने के लिए अरबों रुपए पानी की तरह बहाए जा चुके हैं। इसके बाद भी हालात सुधर नहीं रहे हैं। गंगा के साथ पांडु नदी में पॉल्यूटेड वॉटर गिरने को लेकर यूपी पाल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। नगर निगम पर 90 लाख का जुर्माना लगाए जाने की संस्तुति की है। यह कार्रवाई बोर्ड ने बायोरेमिडेशन और नाला टैङ्क्षपग में धोखाधड़ी मिलने पर की है। इससे नगर निगम ऑफिसर्स में अफरातफरी मच गई है।
बायोरेमिडेशन का दावा
दरअसल गंगा प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान जलशोधन की स्थायी व्यवस्था होने तक गंगा में गिर रहे रानीघाट, बुढिय़ाघाट, डबका घाट, शीतलाबाजार, परमिया नाला, एयरफोर्स नालों का बायोरेमिडिएशन किए जाने का नगर निगम ने दावा किया था। वहीं कुछ नाले टैप भी किए जाने का दावा है। इसके अलावा पांडु नदी में गिरने वाले पनकी पावर हाउस, आईसीआई और रतनपुर नालों में भी बायोरेमिडिएशन का दावा किया जा रहा है।
क्या होता है बायोरेमिडेशन
बायोरेमिडेशन में नालों के पानी को कई जगह रोक-रोक कर नदी में डाला जाता है। पानी में ऑक्सीजन बढ़ाने वाले केमिकल के साथ अन्य रसायन भी मिलाए जाते हैं जो बैक्टीरिया पैदाकर गंदगी को नष्ट करते हैं। इससे गंगा के पानी में घुलित ऑक्सीजन की कमी नहीं होती है। जिससे जलील जीवों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहती है।
जांच में खुल गई पोल
यूपी कन्ट्रोल बोर्ड की टीम ने नगर निगम के दावों की जांच के लिए एक जून से अगस्त तक इन नालों की लगातार निगरानी की। कहीं भी बायोरेमिडिएशन नहीं मिला। यही नहीं गंगाजल के नमूनों की जांच की। जिसमें बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड ज्यादा मिली, वहीं घुलित आक्सीजन कम मिली। जिससे साफ है कि इन नालों से सीवर के साथ इंडस्ट्रियल वेस्ट भी गंगा और पांडु नदी में जा रहा था। दावा किया गया कि बरसात के दौरान नालों से पानी सीधे नदियों में जाता है। बरसात की आड़ में गंगा में रोजाना करीब 10 करोड़ लीटर प्रदूषित पानी और सीवेज बहाया जा रहा है।
एनजीटी के आदेश का हवाला
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के एक पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपण आदेश का हवाला देकर पांच लाख रुपये प्रतिमाह का जुर्माना किया है। इसमें इन सभी नौ नालों के लिए 90 लाख रुपये की पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति लगाई गई है। यूपी पॉल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के रीजनल ऑफिसर अमित मिश्र ने बताया कि तीन माह तक बोर्ड टीम के निगरानी में बायोरेमिडिएशन की व्यवस्था बंद मिली। इस पर नौ नालों को लेकर नगर निगम पर 90 लाख रुपये की पेनाल्टी की संस्तुति की गई। इसको लेकर बोर्ड मुख्यालय के मुख्य पर्यावरण अभियंता को लेटर भेजा गया है।
गंगा को पाल्यूशन फ्री करने में करोड़ों खर्च
-166 करोड़ रुपये से इंडोडच प्रोजेक्ट के अंर्तगत
- 746 करोड़ जेएनएनयूआरएम पार्ट वन में डीप सीवर लाइन बिछाई
- 423 करोड़ से जेएनएनयूआरएम पार्ट टू में खर्च किए गए
-418 करोड़ नवाबगंज से जाजमऊ तक 34 वार्डों में पंङ्क्षपग स्टेशन बनाए गए
-67 करोड़ रुपये से नमामि गंगे के अन्र्तगत छह नालों की टैङ्क्षपग की गई
-1810 करोड़ रुपए अब तक खर्च किए जा चुके हैं गंगा को स्वच्छ बनाने में
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