कानपुर (ब्यूरो) दो दिन पहले आईजी बीएसएफ (जम्मू-कश्मीर) डीके बूरा ने इंटेलीजेंस और सुरक्षा एजेंसियों को दी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सितंबर में 22 नौजवान कश्मीर से गुम हुए थे, जिनकी जानकारी इंटेलीजेंस कर रही थी। बाद में पता चला कि गुम हुए युवकों में 13 घर आ चुके हैं और अपने अपने काम में लगे थे जबकि 9 युवक अपने घर नहीं पहुंचे। इसकी जानकारी गृह मंत्रालय को भी दी गई। इस जानकारी के बाद लोकल इंटेलीजेंस ने काम करना शुरू किया। चिंता की बात ये है कि इनका मोबाइल नंबर या किसी और तरह की जानकारी भी नहीं है। जांच में इंटेलीजेंस को जानकारी मिली है कि कोई 6 महीने तो कोई 8 महीने पहले ही यहां रहने आया था। वापस पहुंचे 13 नौजवानों से बात हुई तो पता चला कि वे उनके साथ ट्रेन में थे और यूपी में मैच देखने जाने की बात कर रहे थे।
लखनऊ, कानपुर की खाक
इन 9 कश्मीरियों का गुम होना इंटेलीजेंस के लिए बड़ी बात है। इनसे जुड़े हुए कई लोगों से पूछताछ की गई, लेकिन कुछ पता नहीं चला। लखनऊ रेलवे स्टेशन, कानपुर रेलवे स्टेशन और दोनों कमिश्नरेट के मुख्य स्थानों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी बारीकी से चेक की गई है, लेकिन इनका कोई सुराग नहीं लगा है। अब इंटेलीजेंस की मुश्किलें भी बढ़ गई हैैं। दरअसल ये जानकारी नहीं मिल पा रही है कि ये 9 कश्मीरी आखिर गुम कहां हो गए।
खुफिया एजेंसियां अलर्ट
इन 9 संदिग्ध की तलाश में खुफिया एजेंसियां पूरे देश में अलर्ट हैैं। जिन जिलों में इनके मिलने की संभावना है, वहां गुपचुप सुरागरसी की जा रही है। देश से निकलने के जो भी रास्ते हैैं, उन पर निगहबानी बढ़ा दी गई है। साथ ही सीमावर्ती जिलों के फुटेज भी चेक किए जा रहे हैैं। कोशिश की जा रही है कि इनकी तस्वीरें सामने आ जाएं, लेकिन 30 नवंबर तक सुरक्षा एजेंसियों को कोई सफलता नहीं मिली है। सुरक्षा एजेंसियों को सूत्रों की माने तो इन नौ कश्मीरियों में आतंकियों के मददगार भी हो सकते हैैं।
नेपाल के रास्ते पाकिस्तान
सुरक्षा एजेंसियां अनुमान लगा रही हैं कि कश्मीर की सील सीमाओं को पार करके पाकिस्तान जाना मुश्किल है। लिहाजा पाकिस्तान जाने का कोई सुरक्षित रास्ता तलाशते हुए ये नेपाल के रास्ते जा सकते हैैं। फिलहाल यूपी पुलिस का कोई बड़ा से लेकर छोटा अधिकारी इस संबंध में बोलने से कतरा रहा है। फिलहाल पहली प्राथमिकता यही है कि इन लापता कश्मीरी युवकों को जल्द से जल्द तलाश जाए।