कानपुर(ब्यूरो)। सीएसजेएम यूनिवर्सिटी की लेटलतीफी का खामियाजा सैकड़ों स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ रहा है। फाइनल इयर का रिजल्ट देर से जारी होने पर स्टूडेंट्स डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) में एडमिशन नहीं ले पाए। हाल यह है कि डीएलएड कॉलेजों में 80 परसेंट सीटें खाली रह गई हैं। कई कॉलेज ऐसेे हैं जहां एक भी एडमिशन नहीं लिया गया है। जबकि अधिकांश कॉलेजों में 100 सीटें हैं। कुछ के पास 50 सीटें हैं। नर्वल डायट में भी सीटें नहीं भर पाई हैं।
जिले में 4109 सीटें
डीएलएड की कानपुर नगर के कॉलेजों में 4,109 सीटें हैं। इसमें से महज 609 ही भर पाई हैं। यानि कुल सीटों का सिर्फ 15 परसेंट। जबकि आठ कॉलेजों में तो एक भी सीट नहीं भर पाई है। जिससे उनके सामने समस्या खड़ी हो गई है। ऐसे में प्रबंधकों का कहना है कि कॉलेज खाली पड़े हैं। किसी कॉलेज को दो तो किसी को चार एडमिशन मिले हैं। ऐसे में ये कोर्स बंदी की कगार पर पहुंच जाएगा। इसलिए सीधे एडमिशन की अनुमति दी जानी चाहिए।
बोले प्रबंधक
डीएलएड में कॉलेजों की स्थितियां खराब हैं। कई कॉलेजों में तो एक भी स्टूडेंट नहीं आया। शासन को दोबारा एडमिशन कराने के लिए पत्र लिखा है।
विनय त्रिवेदी, प्रेसीडेंट उप्र। सेल्फ फाइनेंस एसोसिएशन
डीएलएलड में रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट होने के बाद यूनिवर्सिटी का रिजल्ट जारी हुआ था। इसकी वजह से सैकड़ों स्टूडेंट्स इसमें अप्लाई ही नहीं कर पाए। ऐसे में डायरेक्ट एडमिशन की अनुमति शासन को देनी चाहिए।
डॉ। बृजेश सिंह भदौरिया, प्रबंधक
जगवंत सिंह भदौरिया कॉलेज
डीएलएड कोर्स में बच्चे नहीं है। शासन की तरफ से छूट दी जाए तो कुछ छात्र संख्या हो सकती है। अन्यथा इस स्थिति में तो कोर्स चलाना भी मुश्किल हो जाएगा।
डॉ। मोहर सिंह यादव, प्रबंधक मुलायम सिंह यादव डिग्री कॉलेज
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डीएलड: फैक्ट फाइल
4109 सीटें डीएलएड की हैं कानपुर में
609 सीटें ही भर पाई हैं सभी कॉलेजों में
50 से अधिक डीएलएड कॉलेज संचालित
80 परसेंट से ज्यादा सीटें पड़ी हैं खाली