KANPUR: कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को उसके घर दबिश देकर पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमले में सीओ और एसओ सहित आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए और छह बुरी तरह घायल हो गए। अचानक हुए हमले में पुलिस को संभलने तक का मौका नहीं मिला। करीब आधे घंटे तक चली मुठभेड़ में बदमाशों ने स्वचालित हथियारों से पुलिस पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई। पुलिस और एसटीएफ ने मामले में एक्शन लेते हुए हिस्ट्रीशीटर के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और रिश्तेदार अतुल दुबे को मुठभेड़ के बाद मार गिराया। 8 पुलिसकर्मियों के शहीद होने से पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया। सीएम, डिप्टी सीएम और डीजीपी खुद कानपुर पहुंचे और शहीद पुलिसकर्मियों को श्रंद्धाजलि दी।
पूरी तैयारी कर रखी थी
वेडनसडे को कानपुर निवासी राहुल तिवारी नाम के व्यक्ति ने हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और इसके साथियों के खिलाफ अपहरण और हत्या के प्रयास का मामला दर्ज कराया था। इस केस दर्ज होने के 24 घंटे बाद ही पुलिस की टीम ने विकास दुबे पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था। गुरुवार देर रात 1 बजे सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा के नेतृत्व में बिठूर, चौबेपुर, शिवराजपुर थानों की संयुक्त पुलिस टीम विकास को पकड़ने की तैयारी में चौबेपुर के गांव बिकरू पहुंचे। सूत्रों के मुताबिक, जेसीबी लगातार मुख्य रास्ता बंद होने के कारण पुलिस गाडि़यों से जैसे ही उतरी, उनके ऊपर हर तरफ से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई। कुछ पुलिसकर्मी पीछे हटने की बजाय आगे बढ़े और गोली लगने से घायल हो गए। आधे घंटे तक पुलिस कर्मियों को पूरे गांव में घेरकर गोलियां मारी गई। पुलिस सोर्सेज के मुताबिक फायरिंग स्प्रिंग फील्ड राइफलों के साथ अन्य अत्याधुनिक असलहों से की गई।
60 से अधिक मामले दर्ज
सूत्रों के मुताबिक इस जघन्य वारदात के पीछे किसी पुलिस कर्मी द्वारा ही मुखबिरी की गई। पुलिस के दबिश देने की सूचना कुख्यात के पास पहले से ही थी। बावजूद इसके भागने की बजाय उसने किले की तरह बने घर में पुलिस से मोर्चा लेने के लिए पूरी तैयारी कर ली और साथियों के साथ मिलकर दबिश देने पहुंचे पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। देर रात हुई वारदात की सूचना जैसे ही शीर्ष अधिकारियों को मिली तत्काल मौके पर एसटीएफ समेत थानों की फोर्स को रवाना कर कानपुर की सभी सीमाओं को सील कर दिया गया। बता दें कि विकास दुबे के नाम चौबेपुर थाने में 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। दो दशक पहले यूपी में राजनाथ सिंह की सरकार के दौरान राज्य मंत्री संतोष शुक्ला की थाने के अंदर गोली मारकर हत्या के मामले में भी विकास मुख्य आरोपी था। हालांकि, इस मामले में वह कोर्ट से बरी हो चुका है.
एक पुलिस कर्मी बना 'विभीषण'
पुलिस से मुखबिरी होने की बात इसलिए भी और गहरा गई है कि दबिश से पहले ही मुख्य रास्ते को जेसीबी से बंद कर दिया। ताकि पुलिस के वाहन घर के अंदर न घुस पाएं। जैसे ही पुलिस कर्मी गाडि़यों से उतरे उनके ऊपर घरों पर तैनात शूटर्स ने 3 तरफ से गोलियां बरसा दी। बताया जा रहा है कि आगे बढ़ रहे सीओ ने एक घर के अंदर घुसकर मोर्चा लेने की कोशिश की लेकिन बदमाशों में उस घर के अंदर ही घुसकर उनकी जघन्य हत्या कर दी।
ये पुलिसकर्मी हुए शहीद मूल निवासी
-देवेंद्र कुमार मिश्रा, सीओ, बिल्हौर बांदा
-महेश यादव, एसओ, शिवराजपुर रायबरेली
-अनूप सिंह, चौकी इंचार्ज, मंधना प्रतापगढ़
-नेबूलाल, सबइंस्पेक्टर, शिवराजपुर इलाहाबाद
-सुल्तान सिंह, कांस्टेबल, थाना चौबेपुर झांसी
-राहुल कुमार, कांस्टेबल, बिठूर गाजियाबाद
-जितेंद्र पाल, कांस्टेबल, बिठूर मथुरा
-बबलू कुमार, कांस्टेबल, बिठूर आगरा
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ये पुलिसकर्मी हुए घायल
-कौशलेंद्र प्रताप सिंह, एसओ बिठूर
-सुधाकर पांडेय, एसआई चौबेपुर
-शिवमूरत निषाद, कांस्टेबल, चौबेपुर
-अजय कुमार कश्यप, कांस्टेबल, बिठूर
-अजय सिंह सेंगर, कांस्टेबल, बिठूर
-जयराम, होमगार्ड, चौबेपुर
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पुलिस कर्मियों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। जिन लोगों ने भी दुस्साहसिक वारदात को अंजाम दिया है कानून के दायरे में उन्हें कठोरतम सजा दिलाई जाएगी। शहादत की कोई कीमत नहीं होती, लेकिन सरकार परिजनों के साथ खड़ी है। परिजनों को शासकीय सेवा में लेने के साथ ही असाधारण पेंशन और 1 करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाएगा।
-योगी आदित्यनाथ, सीएम।
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दर्दनाक घटना है। हमने अपने जवान अधिकारी खोए हैं। घात लगाकर किए गए हमले में हमने अपने बेहतरीन जवान खो दिए। अपराधियों को उनके ठिकानों तक पहुंचाया जाएगा।
-हितेंद्र चंद्र अवस्थी, डीजीपी, यूपी।