- बिकरू कांड की जांच करने वाले न्यायिक आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट, विधानसभी में रखी गई
- पूर्व डीआइजी अनंत देव समेत चार को वृहद दंड, तत्कालीन एसएसपी और एसपी ग्रामीण को लघु दंड की सिफारिश
>kanpur@inext.co.in
KANPUR : बिकरू कांड की न्यायिक आयोग जांच में पूर्व डीआइजी अनंत देव सहित सहित आठ पुलिस अधिकारियों को दोषी पाया गया है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है जिसमें चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं। आयोग ने भी बिकरू कांड के लिए पूर्व डीआइजी अनंत देव को दोषी माना है।
तीन सदस्यीय आयोग
बिकरू कांड को अंजाम देने वाले विकास दुबे के एनकाउंटर को लेकर तमाम सवाल खड़े हुए, जिसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश डॉ.बीएस चौहान की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। आयोग ने हाल ही में राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी है। पिछले गुरुवार को रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर भी रखी गई थी।
ये अधिकारी पाए गए दोषी
रिपोर्ट में पूर्व डीआइजी अनंत देव, तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार पी, तत्कालीन एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार, तत्कालीन सीओ एलआइयू सूक्ष्म प्रकाश, पूर्व एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह, पूर्व सीओ कैंट आरके चतुर्वेदी, तत्कालीन नोडल अधिकारी पासपोर्ट अमित कुमार और पूर्व सीओ बिल्हौर नंदलाल सिंह को दोषी माना है। लिस्ट में शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा का नाम भी है, पर दिवंगत होने के चलते उनके बारे में न्यायिक आयोग ने कोई सिफारिश नहीं की है।
ये था मामला
दो जुलाई 2020 को चौबेपुर थानाक्षेत्र के बिकरू गांव में गैंगस्टर विकास दुबे के घर दबिश डालने गई पुलिस टीम पर घात लगाकर हमला कर दिया गया था। पुलिस कर्मियों पर अंधाधुंध फाय¨रग की गई थी। इसमें तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। घटना के अगले ही दिन पुलिस ने विकास के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और चचेरे भाई अतुल दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया था। इसके बाद पुलिस ने विकास के चचेरे भाई अमर दुबे को आठ जुलाई को हमीरपुर के मौदहा तथा इसी दिन बउआ दुबे को इटावा में मुठभेड़ में मारा गया था। नौ जुलाई को प्रभात मिश्र को कानपुर के सचेंडी थानाक्षेत्र में हाईवे के पास जबकि नौ जुलाई को विकास को उज्जैन में पकड़ने के बाद कानपुर लाते वक्त गाड़ी पलटने पर भागने के दौरान 10 जुलाई को पुलिस ने मारा था।
यह तय हुई है सजा
वृहद दंड
-पूर्व डीआइजी अनंत देव
- तत्कालीन सीओ एलआइयू सूक्ष्म प्रकाश
- पूर्व एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न सिंह
- पूर्व सीओ कैंट आरके चतुर्वेदी
लघु दंड
- तत्कालीन एसएसपी दिनेश कुमार पी
- तत्कालीन एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार
- तत्कालीन नोडल पासपोर्ट अधिकारी
इन पर ये कार्रवाई
अमित कुमार : प्रारंभिक जांच कर अनुशासनात्मक कार्रवाई
पूर्व सीओ बिल्हौर नंदलाल सिंह : प्रारंभिक जांच कर अनुशासनात्मक कार्रवाई
वृहद दंड : पीठासीन अधिकारी नियुक्त कर आरोपों की जांच होती है। इसमें आरोपी को पक्ष रखने का मौका भी दिया जाता है। दोषी मिलने पर तीन तरह की सजा का प्रावधान है। पहली, ऐसी बर्खास्तगी, जिसमें सभी प्रकार की सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। दूसरी, केवल विभाग से बर्खास्तगी और तीसरी न्यूनतम वेतनमान पर भेजा जाना।
लघु दंड : जांच अधिकारी जांच करके आरोप तय करता है। आरोपित से इसके बाद जवाब मांगा जाता है। जवाब के आधार पर पदावनति, मिस कंडक्ट और वेतनवृद्धि रोक देने की सजा मिल सकती है।
अनुशासनात्मक कार्रवाई :
विभागीय जांच में तय होता है कि आरोपित के खिलाफ वृहद दंड या लघु दंड के तहत कार्रवाई हो।
पुलिस की छवि धूमिल
जांच रिपोर्ट में न्यायिक आयोग ने लिखा है कि अफसरों के इन कृत्यों से पुलिस विभाग की छवि धूमिल हुई है। वहीं, शासन की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। इसीलिए सभी पर अखिल भारतीय सेवाएं आचरण सेवा नियमावली-1968 और उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली 1956 के तहत कार्रवाई की संस्तुति की गई है।