कानपुर (ब्यूरो) : कमिश्नरेट पुलिस की तमाम कोशिशों और दावों के बाद भी शहर का क्राइम ग्राफ नीचे आने का नाम नहीं ले रहा है। चोरी, लूट, हत्या, रेप के ताबड़तोड़ मामलों से खाकी की हालत खस्ता है। आखिर हो भी क्यों न, शहर में थानों से तीन गुना आपराधिक गैंग जो एक्टिव हैं। कानपुर नगर में 52 थाने हैं और 163 गैंग रजिस्टर्ड हैं। इन गैैंग्स में कुल 754 क्रिमिनल्स हैैं। जिनमें सिर्फ 274 सलाखों के पीछे हैं जबकि 450 के करीब बाहर हैं। इन 450 में 306 जमानत पर हैं तो 144 फरार हैं और वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस का दावा है कि इनमतें से कई गैंग का पूरी तरह सफाया हो चुका है तो वहीं कुछ नए गैंग भी तैयार हो रहे हैं जिन पर पुलिस की नजर है।

खुफिया जुटा रही सूचना
पुलिस और खुफिया विभाग की स्पेशल टीम फरार चल रहे अपराधियों और नया गैंग बनकर अपराध कर रहे शातिरों की धरपकड़ में जुटी हुई है। इनके बारे में खुफिया सूचनाएं एकत्रित करना शुरू कर दिया है। इसको लेकर शहर के अंडरवल्र्ड में खलबली मच गई है। पुलिस को जो गोपनीय रिपोर्ट मिली है उसके मुताबिक शहर में कई शातिर अपराधियों के गैंग सक्रिय है। जिनके गुर्गे वारदात को अंजाम देने की फिराक में घूमते रहते हैं।
10 से अधिक गैंग एक्टिव
पुलिस अधिकारियों की मानें तो कमिश्नरेट के थानों में रजिस्टर्ड कुल गैंगों की संख्या 163 है। कमिश्नरेट प्रणाली लागू होने के बाद से अधिकांश गैंग के सदस्य या तो जेल में है या फिर शहर छोड़ चुके हैं। इसके बावजूद शहर में 10 से अधिक गैंग सक्रिय है। इनके गुर्गे शहर में लूटपाट, रंगदारी, नशीले पदार्थों की बिक्री जैसे संगीन अपराधों में लिप्त है।

70 के दशक में शुरुआत
शहर में 70 के दशक में गैंग बनाकर अपराध करने का ट्रेंड आया था। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक इसके बाद शहर में गैंग बढ़ते चले गए। 80 के दशक में डी-2 गैंग सामने आया था, जो अब तक के सबसे खतरनाक गैंग में से एक है। ये गैंग भाड़े पर हत्या, अपहरण कर फिरौती वसूलने जैसे संगीन अपराध करता था। इस गैंग का नेटवर्क कई प्रदेशों में फैला हुआ था। इनमें से कई गैंग में आपस में गैंगवार चलती थी। पुलिस ने एक गैंग पर अपना हाथ रख दिया जिससे दूसरे गैंग के कई शातिर अपराधी गैंगवार में ही निपट गए। जो बचे उन्हें पुलिस ने निपटा दिया।

अपराध करने का बदला ट्रेंड
पुलिस की गोपनीय रिपोर्ट के मुताबिक शहर में अब जो गैंग सक्रिय हैं, उसके गुर्गे हत्या, लूट, अपहरण जैसी वारदातों को अंजाम देने से बचते है। अब शहर में नए तरह के अपराध का ट्रेंड आ गया है। अब इनका मुख्य काम पुलिस को सेट कर जुआं और सट्टा खिलवाने का है। साथ ही शातिर अपराधी विवादित मकान और जमीन खरीद कर उस पर कब्जा करने का खेल करते हैं। शातिर खुल कर सामने तो नहीं आते, लेकिन पीछे से लोगों को धमका कर विवादित मकान और जमीन खाली करवाने का काम करते हैं।