कानपुर (ब्यूरो) फजलगंज, गोविंद नगर, दादा नगर और पनकी की तंग गलियों में नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते दिन रात कारखाने चल रहे हैं। ये न कारखाना अधिनियम के मानकों पर खरे उतरते हैैं और न दमकल विभाग के नियमों पर। सवाल ये उठता है कि जब इन कारखानों की चिमनी से उठते धुएं मेें कई विभागों के नियम धुआं बनकर उड़ जाते हैैं तो आखिर जिम्मेदार विभाग क्यों मुंह बंद किए हुए हैैं। श्रम विभाग के नियम के मुताबिक इन्हेें वर्दी मिलनी चाहिए (नहीं मिलती है)। हेल्थ चेकअप होना चाहिए (नहीं होता है)। जगह के हिसाब से कर्मचारी होने चाहिए (नहीं होते हैैं)। फायर विभाग के नियमों के मुताबिक एनओसी होनी चाहिए (नहीं होती है)। अब सवाल ये उठता है कि इतने नहीं के बाद भी इन कारखानों की चिमनियां गर्म कैसे हैैं।
नहीं करते हैं जांच
फायर स्टेशन के एफएसओ की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने इलाके में बने कारखानों की जांच करे और अनियमितता मिलने पर नोटिस देकर कार्रवाई करे। लेकिन ऐसा सिर्फ हादसे के बाद ही होता है। वो भी फार्मेलिटी के लिए। मामला ठंडा और सब कुछ ठंडा, फिर पुराने ढर्रे पर सिस्टम।
हर पांचवें घर में फैक्ट्री
फजलगंज क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गड़रियनपुरवा और सरेस बाग इलाके में करीब छोटे-बड़े एक हजार मकान हैं। लगभग हर पांचवें घर में छोटी-बड़ी फैक्ट्री मानकों को ताक पर रखकर संचालित की जा रही है.यहां संचालित होने वाली फैक्ट्रियों में खरादी, वेङ्क्षल्डग के साथ ही मोबिल आयल, लेदर के कारखाने, फोम, बैग और सैडलरी के भी छोटे बड़े कई कारखाने हैं। इसके साथ ही ट्रक की बाडी मेङ्क्षकग का काम होता है। जब कभी हादसा हो जाता हैतो चेङ्क्षकग अभियान चलाकर महज खानापूर्ति कर ली जाती है।
हर नियम तोड़कर चल रही थी फैक्ट्री
शुक्रवार को सरेस बाग की जिस फैक्ट्री में आग से जलकर तीन युवकों की मौत हो गई, वो भी सारे नियम कानून ताख पर रखकर चलाई जा रही थी। फजलगंज फायर स्टेशन के अग्निशमन अधिकारी विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि फैक्ट्री रिहायसी इलाके में है। फायर डिपार्टमेंट से कोई एनओसी भी नहीं ली गई थी। फैक्ट्री में प्रवेश और निकास का केवल एक ही रास्ता था और सीढ़ी काफी संकरी थी। इसके चलते आग लगने पर वहां काम कर रहे कई वर्कर्स को भागने तक का मौका नहीं मिला।
फैक्ट्री या प्रतिष्ठान चलाने के मानक
- फैक्ट्री जिस मार्ग पर हो उसकी चौड़ाई कम से कम नौ मीटर होनी चाहिए।
- आग बुझाने के लिए डाउन कमर हौजरील व हाइड्रेंट का होना जरूरी।
- फैक्ट्री में स्मोक डिटेक्टर हो जिससे धुआं उठते ही आग का पता चल जाए
- परिसर में 450 लीटर प्रति मीटर प्रेशर का पंप होना चाहिए।
- फैक्ट्री में गाडिय़ों के घूमने के लिए चारो ओर सेटबैक हो
- परिसर का मुख्य द्वार हमेशा अतिक्रमण से मुक्त होना चाहिए।
- परिसर में प्रत्येक तल पर कम से कम चार से छह अग्निशमन यंत्र
- परिसर में सबसे ऊपर 10 हजार लीटर का वाटर टैंक होना आवश्यक।
- एक या दो कर्मचारियों को अग्निशमन सिस्टम चलाने का प्रशिक्षण जरूरी
इन इलाकों में धधक रहे हैैं मौत के कारखाने
फजलगंज, चकेरी, ट्रांसपोर्ट नगर, बाबूपुरवा, गोविंद नगर, दादानगर, पनकी, सचेंडी, अकबरपुर, बर्रा, नौबस्ता, महाराजपुर। इसके अलावा नौबस्ता, चकेरी, कल्याणपुर जैस आउटर इलाकों में घर घर छोटे-छोटे कारखाने संचालित हो रहे हैं।
सभी एफएसओ से इलाकों में कारखानों की लिस्ट बनाने के लिए कहा गया है। जिसके बाद नोटिस जारी किया जाएगा। जिनके पास एनओसी नहीं है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
दीपक शर्मा, सीएफओ कानपुर नगर