कानपुर(ब्यूरो)। चाचा भतीजे के बीच चेक बाउंस के एक मुकदमे में कोर्ट ने आरोपी को दोषी पाते हुए 5.05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। एक चेक बाउंस में 2.25 करोड़ और दूसरे चेक में 2.80 करोड़ रुपये का जुर्माना किया गया है। इसके साथ ही छह माह कैद की सजा भी सुनाई है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि जेल की सजा काटने के बाद भी जुर्माने की वसूली संपत्ति से की जाएगी।

26 मार्च 2008 को करार
अशोक नगर के सुरेश चंद्र खंडेलवाल ने भतीजे नरेश चंद्र की फर्म मेसर्स वृन्दावन एसोसिएट््स में पैसे लगाए थे। दोनों के बीच 26 मार्च 2008 को करार हुआ था। जिसके मुताबिक नरेश प्रति माह 50 हजार रुपये ही अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए निकाल सकेंगे। अतिरिक्त धनराशि निकालने पर एक महीने के अंदर उसे जमा करना होगा। अन्यथा 1.5 प्रतिशत की दर से ब्याज सहित धनराशि फर्म में जमा करनी होगी।

रुपये जमा नहीं किए
अधिवक्ता चिन्मय पाठक ने बताया कि इस करार के बाद भी नरेश ने फर्म से पैसे निकाले लेकिन जमा नहीं किए। इस पर चाचा भतीजे के बीच विवाद हुआ। तीन मई 2016 को सुरेश की ओर से नजीराबाद में भतीजे के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। जिसके बाद उनके बीच समझौता हुआ। नरेश ने 25 मार्च 2017 को दो करोड़ और ढाई करोड़ रुपये की दो चेकें चाचा सुरेश को दीं।

6 साल चला मुकदमा
समझौते के मुताबिक, सुरेश ने मुकदमे में पैरवी नहीं की जिसके चलते उसमें अंतिम रिपोर्ट लग गई। इधर जब चाचा ने चेक बैंक में लगाई गईं तो दोनों चेक एकाउंट में बैलेंस न होने के कारण बाउंस हो गईं। इस पर उन्होंने चेक बाउंस का मुकदमा लगाया। छह साल मुकदमा चला। अधिवक्ता ने बताया कि हड़ताल के चलते दोनों पक्षों ने स्वयं बहस की। उनकी बहस सुनने के बाद महानगर मजिस्ट्रेट अक्षिता मिश्रा ने सजा सुनाई।