कानपुर(ब्यूरो)। सीएसजेएस यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड लॉ कॉलेजों में अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस की तरह ही स्टूडेंट्स का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। एलएलबी को लेकर स्टूडेंट्स इंटरेस्ट नहीं दिखा रहे हैं। यही कारण है कि शहर के ब्रम्हानंद, वीएसएसडी और डीसी लॉ जैसे एडेड कॉलेजों को छोडक़र अन्य सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में स्टूडेंट्स की संख्या बेहद कम है। अधिकांश कॉलेजों में 50 परसेंट तक ही एडमिशन मिले हैं। एक समय ये कॉलेज फुल होते थे।
6000 से अधिक सीटें
यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड 60 कॉलेज हैं। जहां बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से मान्यता मिली है। यहां 6000 हजार से अधिक सीटें हैं। इसमें से आधी सीटें खाली हैं। एलएलबी के सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में पहले परीक्षाएं उन्हीं कॉलेजों में होती थीं लेकिन छह साल पूर्व तत्कालीन कुलपति प्रो। जेवी वैशम्पायन ने नकल की शिकायतें मिलने पर एलएलबी की परीक्षाएं एडेड कॉलेजों में कराने के निर्देश दिए थे।
चुनिंदा कॉलेजों में ही
वीसी के इस आदेश का काफी विरोध भी हुआ था, तब उस समय परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर यादव ने कॉलेजों में जाकर परीक्षाएं कराई थी। इसके बाद चुनिंदा कॉलेजों में ही स्टूडेंट्स एडमिशन ले रहे हैं। यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड कॉलेजों की संख्या तो बढ़ती जा रही है लेकिन वहां सुविधाओं के नाम पर टोटा है। कानपुर के कुछ प्रमुख सेल्फ फाइनेंस कॉलेज हैं जो स्टूडेंट्स की पसंद हैं। कई कॉलेज तो ऐसे हैं जहां 20-25 परसेंट ही एडमिशन हो पाए हैं।
प्वाइंटर :
6000 से अधिक एलएलबी की सीटें
60 लॉ कॉलेज यूनिवर्सिटी से एफिलिएडेट
50 परसेंट सीटों पर ही हो पाए हैं एडमिशन
बोले प्रबंधक
कॉलेजों में इस बार एडमिशन का ग्राफ गिरा है, बीए, बीएससी में भी स्टूडेंट्स कम हैं, एलएलबी में स्टूडेंट्स का रुझान कुछ घटा है, कॉलेज में लगभग 50 परसेंट एडमिशन हुए हैं।
विनोद शुक्ला, अध्यक्ष, उप्र। महाविद्यालय एसोसिएशन
एलएलबी में स्टूडेंट्स का ग्राफ कुछ कम हुआ है लेकिन 50 परसेंट सीटें फुल हो गई हैं। हर कोर्स में एडमिशन की स्थिति ऐसी है।
जितेंद्र तिवारी, नारायाण कॉलेज ऑफ लॉ