कानपुर(ब्यूरो)। ब्रांडेड पैकेज्ड फूड के साथ नॉन ब्रांडेड लेबल्ड पैकेज्ड फूड को भी जीएसटी के दायरे में लाने के बाद से तमाम व्यापारी संगठन इसका विरोध कर रहे हैं और इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनका दावा है कि इस फैसले से खाने पीने की चीजों में महंगाई बढ़ेगी। जिसका असर आम आदमी पर पड़ेगा। 18 जुलाई से लागू हो रहे इस फैसले के बाद से दही, मटठ, अनाज, मांस, मछली समेत खाने पीने की काफी चीजों जोकि नॉन ब्रांडेड हैं,लेकिन पैकेज्ड व लेबल्ड लगी हुई हैं। उन पर जीएसटी लगने लगेगा। जिससे पहले से महंगाई से जूझ रहे लोगों की जेब और ढीली हो सकती है।
फैसले से कंफ्यूजन भी
नॉन ब्रांडेड लेबल्ड पैकेज्ड फूड पर 5 परसेंट जीएसटी लगाने के फैसले को लेकर व्यापारियों में एक तरफ जहां नाराजगी है। वहीं दूसरी तरफ उनमें कुछ चीजों को लेकर कंफ्यूजन भी है। फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट के तहत हर पैकेज्ड फूड जोकि ब्रांडेड कंपनी का हो या फिर नॉन ब्रांडेड , उस पर प्रोडक्ट को लेकर जानकारी लिखनी होती है। ऐसे में जो किसान अपना अनाज बोरी में भर कर बेचने आते हैं क्या वह भी टैक्स के दायरे में आएंगे। इस पर व्यापारियों में कंफ्यूजन बना हुआ है।
फैसला वापस लेने की मांग
नॉन ब्रांडेड लेबल्ड पैकेज्ड फूड पर जीएसटी लगाने के फैसले को लेकर व्यापारी संगठनों की ओर से विरोध जाहिर किया गया है। कानपुर में भी प्रमुख व्यापारिक संगठनों की ओर से लगातार 5 परसेंट जीएसटी लगाने के फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है। संडे को भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश महामंत्री ज्ञानेश मिश्रा के नेतृत्व में मिलर्स और आढ़तियों के साथ व्यापारियों का एक प्रतिनिधिमंडल सांसद सत्यदेव पचौरी से मिला और जीएसटी लगाने के फैसले को वापस लेने की मांग की। इसी तरह कंफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स की ओर से लगातार इस फैसले को लेकर नाराजगी जाहिर की जा रही है और इस बाबत केंद्र सरकार के मंत्रियों को संगठन की अलग अलग शाखाओं के जरिए ज्ञापन दिए जा रहे हैं।
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ये चीजें महंगे होने का दावा-
दही, चावल, आटा, मैदा, बेसन, मसाले, शहद, मांस और मछली (नॉन फ्रोजन),पापड़,लईया, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, पनीर,लस्सी, गुड़,बटर मिल्क। 25 किलो तक अनाज, (सभी प्री पैकेज्ड के साथ लेवल लगे नॉन ब्रांडेड खाने पीने के सामान पर)
वर्जन-
नॉन लेबल्ड प्री पैकेज्ड फूड को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला सही नहीं है.इससे खाने पीने की चीजों में महंगाई और बढ़ेगी। कैट की ओर से लगातार वित्तमंत्री से इस फैसले को वापस लेने की मांग की जा रही है।
- पंकज अरोरा, राष्ट्रीय सचिव, कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स
18 जुलाई से यह फैसला लागू हो जाएगा। सबसे बड़ी बात है कि इस फैसले से स्टेट जीएसटी व एसआईबी के सर्वे छापे बढ़ेंगे और उत्पीडऩ की संभावना भी बढ़ेगी। छोटे मिलर्स व व्यापारियों की भी खर्च और परेशानी बढ़ेगी।
- ज्ञानेश मिश्रा, प्रदेश महामंत्री, भारतीय उद्योग व्यापार मंडल