- डिजिटिलाइजेशन को बढ़ावा देने वाली एसबीआई की सभी पांच इन टच ब्रांच पर लगा ताला
-जागरूकता के अभाव और सटीक प्लानिंग न होना बनी वजह, ढाई साल पहले शुरू हुई थीं
KANPUR :
डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने के लिए गवर्नमेंट लगातार प्रयास कर रही है। लेकिन कहीं न कहीं लोगों में जागरूकता का अभाव और लचर प्लानिंग इस सपने को चकनाचूर कर रही है। इसका ताजा उदाहरण सिटी में करीब ढाई साल पहले एसबीआई बैंक के स्मार्ट इनीशिएटिव के तहत शुरू की गई इन टच ब्रांच पर 'ताला' लगना है। आपको बता दें कि लोगों को डिजिटिलाइजेशन से जोड़ने और बैंकिंग को आसान बनाने के लिए एसबीआई ने देश भर में करीब 160 इन टच ब्रांच शुरू की थीं। जबकि, जिनमें से 5 ब्रांच सिटी में खोली गई थीं, लेकिन लोगों में जागरुकता के अभाव व ब्रांचों के लगातार घाटे में जाने के कारण सभी को बंद करना पड़ा।
सभी काम मशीनों से होता था
एसबीआई की ओर से शुरू किए गए इस इनीशिएटिव से खासकर यूथ को काफी फायदा हो सकता था। अक्सर बैंकों में होने वाली भीड़ या किसी स्लो बैंक इम्प्लाई से कस्टमर्स को प्रॉब्लम झेलनी पड़ती हैं। जबकि, इन टच ब्रांचों में खाता खोलने से लेकर, पासबुक अपडेट, पैसा निकालना, पैसा जमा करना व लोन तक की सुविधा मशीनों के माध्यम से ही मिलती थी। इन डिजिटल ब्रांच में सिर्फ दो लोगों का स्टाफ रहता था।
नहीं जुटा सके कस्टमर्स की भीड़
एसबीआई डीजीएम रामसुख सरोज के अनुसार सिटी में सिविल लाइंस, माल रोड, किदवईनगर, तिलकनगर व आर्यनगर में इन ब्रांचों को खोला गया था। ब्रांचों को खोलने के बाद कस्टमर्स को इन ब्रांचों के फायदे भी बताए गए। इसके बाद भी इन टच ब्रांचों में कस्टमर्स की भीड़ नहीं जुटाई जा सकी। इस कारण सभी इन टच ब्रांच लगातार घाटे में जाने लगीं, जिस कारण उन्हें बंद करना पड़ा।
प्लानिंग के अभाव में हुई फेल
नेशनल कंफेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लाइज के पूर्व सचिव राजेंद्र अवस्थी के अनुसार इन टच ब्रांचों से कस्टमर्स को जो सुविधा मिलने वाली थी, अगर उसका ठीक से प्रचार प्रसार होता तो इनके बंद होने की नौबत न आती। उन्होंने बताया कि इन टच ब्रांचों के बंद होने के पीछे सटीक प्लानिंग का न होना भी एक बड़ी वजह है।
वर्जन
- एसबीआई की इन टच ब्रांचों में कस्टमर्स की कमी थी। जबकि, बैंकों के बढ़ रहे खर्च से बैंक लगातार घाटे में जा रही थी, जिस वजह से उसे बंद करने का फैसला लिया गया।
- रामसुख सरोज, डीजीएम, एसबीआई।
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- इन ब्रांचों के संबंध में मुझे कोई खास जानकारी नहीं थी। अगर जानकारी होती तो मैं अपना अकाउंट स्टाफ वाली ब्रांच से इन टच में ही ट्रांसफर करवाता।
- आकाश कुमार
- एसबीआई ने बहुत अच्छा इनीशिएटिव शुरू किया था। लेकिन, लोगों में जागरुकता की कमी और बैंक की प्लानिंग न होने के कारण यूथ को यह नुकसान उठाना पड़ा। इन ब्रांचों ने लोगों की बैंक में होने वाली 50 परसेंट तक समस्याओं को कम कर दिया था।
- अजीत शुक्ला
- मुझे इन टच ब्रांच की कोई जानकारी नहीं है। बैंकों में जो पुराने वर्कर थे, वो कोई काम नहीं करते थे। इससे लोगों को घंटों एक छोटा सा काम कराने के लिए लाइन में खड़े रहना पड़ता था।
- अभय कुमार
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- 05 इन टच ब्रांच थीं एसबीआई की सिटी में
- 02 लोगों का ही स्टाफ था प्रत्येक ब्रांच में हेल्प के लिए
- 04 लाख रुपए औसतन हर महीने खर्च होते थे प्रत्येक बैंक के मेंटीनेंस और रेंट में