- छह साल बीतने के बाद भी लीकेज है जारी, अब तक 800 से ज्यादा हो चुके हैं लीकेज
KANPUR : जेएनएनयूआरएम में 869 करोड़ रूपए खर्च होने के बावजूद घटिया पाइपों के कारण कानपुराइट्स को ड्रिकिंग वाटर नसीब नहीं है। 800 से ज्यादा लीकेजों के कारण घरों में लगे नलों में अब तक पानी की बूंद भी नहीं टपकी है। ये जरूर है कि लीकेज सुधारने में ही 40 करोड़ से अधिक खर्च हो गए हैं।
टेस्टिंग में छूटे पानी के फौव्वारे
दरअसल जेएनएनयूआरएम में बिछाई गई पाइप लाइनों की टेस्टिंग की शुरूआत वर्ष 2015 में हुई। गंगा बैराज में बने दो वाटर वर्क्स से पानी छोड़ा गया तो विष्णुपुरी, कम्पनी बाग, कम्पनीबाग-रावतपुर रोड, मैकराबर्ट्सगंज रोड, परेड, बड़ा चौराहा, सर्वोदय नगर, काकादेव, विजय नगर, जाजमऊ आदि स्थानों में लीकेज हो गए। सड़कों से पानी से फौव्वारे छूटने लगे। लीकेज का ये सिलसिला अब तक बन्द नही हुआ है। जलनिगम इम्प्लाइज के मुताबिक अब तक 800 से ज्यादा लीकेज हो चुके है। एक लीकेज बनाने में कम से कम 50 हजार रुपये खर्च हो जाते है। यानि केवल 800 लीकेज सही करने में 40 करोड़ रुपये खर्च हो चुके है। लीकेजों की भरमार के कारण गंगा बैराज से वाटर सप्लाई प्रेशर कम किया। आईआईटी ने पाइपों की जांच के दौरान भी यही सलाह दी थी। इस वजह से 20-20 करोड़ के दो वाटर वर्क्स में से कुल मिलाकर छह करोड़ लीटर ही वाटर सप्लाई हो रही है।
पब्लिक को भुगतना पड़ा
पाइप लाइनों की लीकेजों की भरमार का खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ा। परेड, बड़ा चौराहा, चुन्नीगंज, मकराबर्ट्सगंज, राजीव पेट्रोल पम्प चौराहा, काकादेव, दादा नगर, फूलबाग आदि बिजी ट्रैफिक वाली रोड्स से पानी के फौव्वारे छूटे। लीकेज बनाने के लिए कई-कई दिनों तक ट्रैफिक ब्लाक रहा। लोगों को जाम से जूझना पड़ा।
''घटिया पाइपों को बदलकर वाटर सप्लाई शुरू कराने की कोशिश की जाएगी। जल्द ही इस समस्या को लेकर नगर विकास मंत्री से मिलेंगे.''
प्रमिला पांडेय, महापौर