कानपुर (ब्यूरो) रोडवेज आरएम व केसीटीएसएल के एमडी अनिल अग्रवाल ने बताया कि टेस्ट के लास्ट डे 24 ड्राइवर ही पहुंचे थे। जिसमें 20 ड्राइवर ही टेस्ट पास कर पाए हैं। उन्होंने बताया कि तीन दिनों में कुल 110 ड्राइवर्स के टेस्ट हुए है। जिसमें टोटल 84 ड्राइवर्स ही टेस्ट पास कर पाए है। वहीं 26 ड्राइवर टेस्ट में फेल हो गए है। जिनको एक सप्ताह की ट्रेनिंग का समय दिया गया है। एक सप्ताह बाद उनका दोबारा टेस्ट होगा। जिसमें पास होने वाले ड्राइवर्स को ही बसों की स्टेरिंग थमाई जाएगी।

भर्ती में खड़े हुए सवालिया निशान
रोडवेज के ऑटामैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक में टेस्ट के दौरान एक चौथाई ड्राइवर्स के फेल होने की वजह से अब बसों का संचालन करने वाली कंपनी सीएफएमएस पर ड्राइवर भर्ती प्रक्रिया में भी सवालिया निशान उठ गए है। बड़ा सवाल यह उठता है कि ड्राइवर को बस लेकर रूट में भेजने से पहले उनको परफेक्ट ट्रेनिंग क्यू नहीं दी गई। वहीं जब यूपी का इकलौता ऑटोमैटिक सेंसर युक्त ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक कानपुर में होने के बावजूद, ड्राइवर्स का टेस्ट इस ट्रैक में लेने के बाद बसें चलाने के लिए देने का निर्णय क्यों नहीं लिया गया।

क्या बोले कंपनी के डायरेक्टर
सीएफएमएस कंपनी के डायरेक्टर दीपेश द्विवेदी से जब ड्राइवर्स की भर्ती को लेकर उठाए जा रहे सवालिया निशान पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने बात की। कंपनी के डायरेक्टर दीपेश द्विवेदी ने बताया कि ड्राइवर्स की भर्ती करने के बाद उनको चार दिनों की ट्रेनिंग दी गई थी। ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक में एक चौथाई ड्राइवर फेल होने पर उन्होंने बताया कि विकास नगर स्थित ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग का ट्रैक बहुत हाईटेक है। जिसमें लगा सेमुलेटर डैशबोर्ड ई-बसों से भिन्न है। फेल होने का यह भी एक कारण हो सकता है। ड्राइवर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है। संभावना है कि अब यह समस्या आगे नहीं आएगी।