कानपुर (ब्यूरो) राज्यपाल से लोकार्पण की तैयारियों के चलते मियावाकी जंगल के चारो ओर बाउंड्री वॉल का रंगरोगन किया जा रहा है। मुख्य द्वार को भी केसरिया रंग से रंगा जा रहा है। वहीं पूरे रूट की सफाई के साथ ही ट्रैफिक प्लान भी तैयार किया जा रहा है।
2 साल में तैयार हुआ अर्बन जंगल
नगर निगम उद्यान अधीक्षक डा। वीके सिंह ने बताया कि विजय नगर में जापानी मियावाकी पद्धति से करीब 1.80 लाख पौधे लगाए गए हैं। जो 2 साल बाद घने जंगल के रूप में तैयार हो गए हैं। इन अर्बन जंगलों से शहर में पॉल्यूशन का स्तर कम हो रहा है और ऑक्सीजन की मात्रा भी बढ़ रही है।
क्या है मियावाकी पद्धति
छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं, जो साधारण पौधों की तुलना में 10 गुना तेजी से बढ़ते हैं। गड्ढा खोदने के भी पहले तीन प्रजातियों की एक लिस्ट बनानी होती है। इसके लिए ऐसे पौधे चुने जाते हैं, जिनकी ऊंचाई पेड़ बनने पर अलग-अलग हो सकती है। जिसके बाद एक गड्ढा बनाकर कम्पोस्ट की एक परत डाली जाती है, सबसे ऊपर लाल मिट्टी की एक परत बिछाई जाती है। इसी को मियावाकी पद्धति कहा जाता है। जिसका आविष्कार मियावाकी नामक जापान के एक वनस्पतिशास्त्री ने किया था।
यहां-यहां भी ऐसे पार्क
-मसवानपुर के शनैश्वर मंदिर के पास
-पनकी के आंबेडकर पार्क
-जागेश्वर अस्पताल परिसर
-किदवई नगर
ये मुख्य पौधे लगाए गए हैं
जामुन, तुलसी, अर्जुन, पिलखन, शीशम, मौलश्री, आडू, नाशपाती, शहतूत, करौंदा, मेहंदी, गोल्डमोहर, कैजुरिना, सुखचैन, गूलर, आम, बॉटल ब्रश, जेट्रोफा, बांस, कनैर, पारस पीपल, अशोक, अमरूद, नींबू, किन्नू, फाइकस, टिकोमा, चम्पा, कलैंड्रा आदि
शहर में पॉल्यूशन का हाल
सेंटर -- पीएम 2.5--स्थिति
नेहरू नगर --415 -- गंभीर
आईआईटी --159 -- माडरेट
एनएसआई --206 -- पुअर
किदवई नगर--392 --वेरी पुअर
क्या हैं स्टैंडर्ड
0-50 गुड
51-100 सैटिस्फैक्टरी
101-200 मॉडरेट
201-300 पुअर
301-400 वेरी पुअर
401-500 गंभीर
नोट- पीएम 2.5 (पार्टिकुलेट मैटर ) माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है।