कानपुर (ब्यूरो) एनसीआर सीपीआरओ डॉ। शिवम शर्मा ने बताया कि फॉग सेफ्टी डिवाइस में ट्रेन का नंबर व रूट होता है। जिससे सिग्नल आने से पहले ट्रेन के ड्राइवर को घने कोहरे में सिग्नल की सटीक जानकारी मिल सकेगी। उन्होने बताया कि यह डिवाइस जीपीएस से कनेक्ट होती है। जिससे ट्रेन के ड्राइवर को सिग्नल के साथ आने वाले स्टेशन का भी पता ऑटोमैटिक मिलता रहता है।
सेफ होगा ट्रेनों का संचालन
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक अधिक ठंड में लोहे की पटरियां नार्मल मौसम की अपेक्षा कठोर हो जाती है। जिससे उनके फ्रैक्चर होने की काफी आशंका बढ़ जाती है। इन कंडीशन में ट्रेनों का हाईस्पीड में नहीं दौड़ाया जा सकता है, इसलिए कोहरे के दौरान ट्रेनों की स्पीड कंट्रोल्ड रखी जाती है। जिससे ट्रेनों का संचालन सुरक्षित हो सके। मध्यम गति में ट्रेनों चलने से ट्रैक का फ्रैक्चर भी ड्राइवर आसानी से पकड़ सकता है।