कानपुर(ब्यूरो)।रेलवे ने पैसेंजर्स की जर्नी को आरामदायक और सुरक्षित बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। लेकिन, ट्रेनों के टाइम से संचालन को लेकर अभी भी रेलवे काफी पीछे है.जबकि बीते तीन सालों में ट्रेनों की चाल सुधारने के लिए 500 करोड़ से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। प्रयागराज डिवीजन में चलने वाली पैसेंजर्स ट्रेनों में अभी भी लगभग 35 परसेंट ट्रेनें लेट चल रही है। अच्छी खबर यह है कि 2019-20 के मुकाबले ट्रेनों के टाइम से संचालन को लेकर 2022-23 में 20 परसेंट तक सुधार हुआ है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक ट्रेनों की समयपालनता को 80 परसेंट तक ले जाने के लिए रेलवे ने कवायद शुरू कर दी है।
46.85 से बढ़ कर 65.38 परसेंट
प्रयागराज डिवीजन के अधिकारियों के मुताबिक 2019-20 में डिवीजन में पैसेंजर्स ट्रेनों की समयपालनता 46.85 परसेंट थी। जो 2022-23 में बढ़ कर 65.38 प्रतिशत हो गई है। बीते तीन सालों में रेलवे ने लगातार प्रयास कर लगभग 20 परसेंट तक ट्रेनों की टाइमिंग में सुधार किया है। इसके बावजूद अभी भी लगभग 35 परसेंट ट्रेनें प्रयागराज डिवीजन में अपने निर्धारित शेड्यूल से ट्रैक पर नहीं दौड़ पा रही हैं।
300 से अधिक ट्रेनों का संचालन
प्रयागराज डिवीजन में लगभग 300 पैसेंजर्स ट्रेनों का डेली आवागमन है। जिसमें दिल्ली-हावड़ा रूट के अलावा मुम्बई व सूरत रूट की भी पैसेंजर्स ट्रेनें है। रेलवे के आंकड़ों को देखा जाए तो 300 ट्रेनों में लगभग 105 ट्रेनें अपने निर्धारित टाइम से नहीं संचालित होती है। यह ट्रेनें सीआरओ, चेनपुलिंग, ट्रैक मेंटीनेंस समेत आरओबी निर्माण कार्य की वजह से कहीं न कहीं प्रभावित होती हैं। जिसमें सुधार करने के लिए रेलवे की कवायद जारी है।
मेंटिनेंस पर मोटी रकम
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली-हावड़ा रूट की ट्रेनों की स्पीड में सुधार कराने के लिए रेलवे ने बीते तीन सालों में ट्रैक मेंटीनेंस, रिप्लेसमेंट समेत अन्य कार्यो में पांच सौ करोड़ से अधिक रुपए खर्च किए हैं। इसी वजह से ट्रेनों की समयपालनता में 20 परसेंट अधिक सुधार हुआ है। अब रेलवे इस ग्राफ को और बढ़ाने की प्लानिंग तैयार कर रहा है।
डिवीजन की 50 परसेंट ट्रेनें समय से
एनसीआर सीपीआरओ हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि प्रयागराज डिवीजन से चलने वाली ट्रेनों में 50 परसेंट ट्रेनें डेली अपनी निर्धारित टाइमिंग से संचालित होती हैं। लंबी दूरी का सफर तय करने वाली ट्रेनें की चाल अधिक प्रभावित होती है। इसका कारण अन्य रीजन में कई तरह की दिक्कतें भी होती हैं। जोकि अपने रीजन की ट्रेनों को पास करने में अधिक महत्व देता है। इसके अलावा कई स्थानों पर मेंटीनेंस कार्य की वजह से कॉशन लगा होता है। जिसकी वजह से ट्रेन की स्पीड कम हो जाती है।
आंकड़े
- 46.85 प्रतिशत थी ट्रेनों की समयपालनता 2019-20 में
- 65.38 प्रतिशत ट्रेनें टाइम शेड्यूल से चलीं 2022-23 में
- 35 परसेंट ट्रेनें अभी भी अपने निर्धारित समय से नहीं चल रही
- 80 परसेंट तक ट्रेनों की समयपालनता पर काम चल रहा है
- 300 से अधिक ट्रेनों का डेली आवागमन प्रयागराज डिवीजन में
- 3 सालों में रेलवे ने 20 परसेंट ट्रेनों की चाल में किया सुधार
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