कानपुर (ब्यूरो)। जल निगम के करप्शन के चलते जेएनएनयूआरम के तहत शहर में करोड़ों खर्च कर डाली गई वाटर लाइन से जगह जगह फौव्वारे छूटते हैं। जिससे पानी की बर्बादी तो होती है रोड्स भी धंस जाती हैं। अब लाइन में हुई गड़बडिय़ों को दूर करने के लिए 309 करोड़ रुपये और खर्च किए जाएंगे। इसको लेकर नए सिरे से तैयारी की जा रही है। उधर बनियापुरवा एसटीपी तक मैनावती मार्ग का दूषित पानी ले जाने के लिए 32 करोड़ से नई सीवर लाइन बिछाई जाएगी।
जवाहर लाल नेहरू नेशनल अरबन रिन्यूवल मिशन के तहत ड्रिकिंग वाटर घर घर पहुंचाने के लिए 869 करोड़ रुपये से पाइपलाइन डाली गई थी। लेकिन, इस काम में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। लाइन में कई जगह गैप हैं। पाइप डाले ही नहीं गए तो कई जगह एलाइनमेंट भी गड़बड़ है। प्रेशर से पानी छोड़ते हुए पाइप लाइनों से फौव्वारे छूटने लगते हैं जिससे सप्लाई को बंद करना पड़ता है। इन पाइपलाइनों को 138 करोड़ रुपये से बदला जाएगा। वहीं गंगा व पांडु नदी में गिर रहे सात नालों को बंद करने के लिए 48 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट अब 139 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है।
2015 में प्रोजेक्ट कम्प्लीट
सेंट्रल गवर्नमेंट की जेएनएनयूआरएम के तहत गंगा का पानी घर-घर तक पहुंचाने के लिए 869 करोड़ रुपये खर्च हुए। वर्ष 2015 में प्रोजेक्ट कम्प्लीट हो गया, लेकिन जब पाइपों की टेङ्क्षस्टग की गई तो उनसे फौव्वारे छूटने लगे। अब तक करीब आठ सौ से ज्यादा लीकेज हो गए हैं। अभी भी विजय नगर और 80 फीट रोड पर लीकेज है। मुख्य 15 किलोमीटर घटिया पाइप पड़ा होने के कारण जरा सा पानी का प्रेशर पडऩे पर पाइप फट जाते है।
22 लाख लोगों को मिलेगी राहत
इसके चलते कई बार बैराज प्लांट बंद करना पड़ता है। इसको बदलने के लिए अब 138 करोड़ रुपये की जरूरत है। घटिया पाइप को बदलने की तैयारी नगर निगम कर रहा है। नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन ने 15 वें वित्त आयोग से 50 करोड़ रुपये देने की स्वीकृति दे दी है। इससे करीब 22 लाख लोगों को पीने का पानी मिलेगा।
पूरी क्षमता से नहीं चल रहा प्लांट
इसके अलावा बनियापुरवा में बना 15 एमएलडी का प्लांट सीवर का पानी नहीं पहुंचने के कारण पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा है। इसके लिए मैनावती मार्ग में नाले में पड़ी सीवर लाइन को बदलने के लिए 32 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया है। इसके पडऩे के बाद सीवर का पानी पहुंचने से प्लांट पूरी क्षमता से चलेगा।
सीसामऊ नाले की टैपिंग में लापरवाही
सीसामऊ नाला बंद करने में भी लापरवाही हुई है। नाले का पानी आगे न बढऩे के कारण ओवर फ्लो होकर सिविल लाइंस और ग्रीनपार्क में भर रहा है। उस वक्त गंगा में गिर रहे पांच नालों और पांडु नदी में गिर रहे दो नालों को बंद करने के लिए 48 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया था जो बाद में 61 करोड़ रुपये का हो गया। अब यह बढक़र 139 करोड़ रुपये का हो गया है। इसमें एक पंङ्क्षपग स्टेशन को शामिल गिया गया है। लागत बढ़ती जा रही है लेकिन कार्य आज तक नहीं शुरू हुआ है। इसके अलावा लीकेज और कई जगह पाइप न डालने में करीब 50 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है लेकिन समस्या जस की तस है। अब भ्रष्टाचार को दबाने व खामियों को कम करने के लिए नए सिरे से खाका तैयार हो रहा है। लापरवाही और गड़बडिय़ों के कारण अब तक 309 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं।