कानपुर (ब्यूरो) किदवईनगर निवासी डॉ। संजीव प्रताप ङ्क्षसह के बेटे शांतनु ओडेसा मेडिकल यूनिवर्सिटी विवि से एमबीबीएस पांचवें वर्ष के छात्र है। थर्सडे रात वह भी अपने घर लौट आए। उन्होंने बताया कि 26 फरवरी को हम हंगरी बार्डर पर पहुंचे और 12 घंटे इंतजार करने के बाद 27 फरवरी को बॉर्डर क्रॉस किया। दो मार्च को बुडापेस्ट एयरपोर्ट से फ्लाइट मिली।
एयरपोर्ट पर बिछुड़ गया था विपुल
बर्रा पांच निवासी दैव्यम बाजपेई गुरुवार रात अपने घर पहुंच गए। वह भी ओडेसा मेडिकल यूनिवर्सिटी से पांचवें वर्ष के छात्र हैं। उन्होंने बताया कि 27 फरवरी को रोमानिया बार्डर पहुंचे। अगले दिन बॉर्डर पार किया। रोमानिया में व्यवस्थाएं ठीक थीं। दैव्यम के साथ ही ओडेसा से रोमानिया तक का सफर तय करने वाले उनके जिगरी दोस्त विपुल ङ्क्षसह दूसरी फ्लाइट से भारत आएंगे। दैव्यम ने बताया कि एयरपोर्ट पर विपुल उनसे बिछड़ गए थे।
ये पहुंच गए बार्डर, फ्लाइट का इंतजार
उधर, बसंत विहार नौबस्ता निवासी गरिमा तिवारी, गुजैनी की दिव्यांशी सचान, दामोदर नगर के दिव्यम तिवारी व कल्याणपुर निवासी सृष्टि यादव भी गुरुवार को रोमानिया पहुंच गईं। जबकि दर्शनपुरवा की जेनसी, जाजमऊ की प्रीति यादव अपनी सहेलियों के साथ पोलैंड में है। जहां वह फ्लाइट का इंतजार कर रही है। इटावा बाजार के श्रेय सिंहानिया, नौबस्ता का संकेत राजपूत व श्याम नगर की मानसी शर्मा हंगरी में हैं। गरिमा ने बताया कि यहां बर्फबारी हो रही है। ठंड के कारण सो नहीं पा रहे।
अक्षरा पोलैंड बार्डर पर, भाई खारकीव में फंसा
खारकीव मेडिकल यूनिवर्सिटी से मेडिकल की छात्रा ग्वालटोली सूटरगंज निवासी अक्षरा सिंह गुरुवार को पोलैंड बार्डर पर पहुंच गई, लेकिन अभी तक उनका भाई आरव खारकीव के पास एक छोटे से गांव पेसोचिम में फंसा है। बेटे के फंसे होने के कारण यहां उनकी मां मधुरिमा व अन्य परिजन बेहद परेशान हैं। मधुरिमा ने बताया कि बेटी पोलैंड बार्डर पर है और लंबी लाइन होने के कारण वह शुक्रवार तक बार्डर पार कर सकेगी। अब तक आरव को भारतीय दूतावास ने सुरक्षित निकालने का कोई इंतजाम नहीं किया है। उसे तेज बुखार है और वह ठीक से बात भी नहीं कर पा रहा है।