कानपुर(ब्यूरो)। बिकरू कांड से लेकर नई सडक़ बवाल तक कई बड़े मामले शहर में हो चुके हैं। कानपुर के एक औद्योगिक शहर है। यहां हजारों की संख्या में बड़े व्यापारी हैं, करोड़ों का डेली ट्रांजेक्शन है। मोटा कैश लेकर आना जाना है। जिसमें सिक्योरिटी कंर्सन रहता है। इन हालात के बावजूद शहर में बीते पांच साल से भी ज्यादा समय मेंं एक भी नया असलहा लाइसेंस जारी नहीं किया गया। हालांकि इसके बावजूद आवेदन करने वालों की कोई कमी नहीं है। हर साल दो से तीन हजार लोग असलहे के लिए आवेदन कर रहे हैं। यहां तक कि विरासत वाले लाइसेंस को भी नहीं जारी किया जा रहा है। अधिकारियो के मुताबिक अब तक 15 हजार से ज्यादा शस्त्र लाइसेंस के आवेदन पेंडिंग हो चुके हैं।
सबसे ज्यादा नये लाइसेंस
शस्त्र विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, वर्ष 2016 से लगातार लाइसेंस जारी कराने के लिए आवेदन आ रहे हैं। इसमें वरासत लाइसेंस को जारी कराने का भी आवेदन शामिल है। आंकड़ों मुताबिक बीते पांच साल में 15 हजार से ज्यादा आवेदन नए लाइसेंस के लिए आ चुके हैं। जबकि वरासत लाइसेंस जारी कराने के लिए 700 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं, बावजूद इसके अब तक एक भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है। जिसकी वजह से आए दिन आवेदक शस्त्र विभाग के चक्कर काटता रहता है। इस उम्मीद से कि उसे भी एक दिन हथियार रखने का लाइसेंस मिलेगा।
इसलिए जारी नहीं हो रहे
अधिकारियों के मुताबिक कलक्ट्रेट के असलहा विभाग में लगातार गड़बड़ी की शिकायतें मिल रहीं थीं। इस पर पूर्व डीएम आलोक तिवारी की संस्तुति पर एसआईटी बनाई गई। जांच में शस्त्र लाइसेंस की 14 हजार फाइलें गायब मिलीं। जिसके बाद एसआईटी ने शस्त्रों के नामांतरण (शस्त्र की विरासत) का रजिस्टर जब्त कर लिया। तब से यह रजिस्टर एसआईटी के कब्जे में है। इसके चलते लाइसेंस का ट्रांसफर नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में 700 से ज्यादा ऐसे आवेदन लंबित हैं जिसमें लोगों ने शस्त्र लाइसेंस के नामांतरण का प्रार्थना पत्र दे रखा है। अधिकारी के मुताबिक रजिस्टर एसआईटी ले गई है तो वह ट्रांसफर कैसे करें। यही वजह शस्त्र के लाइसेंस नहीं बनाए जा रहे हैं।
यह है ट्रांसफर की प्रक्रिया
फैमिली के किसी शख्स के नाम पर यदि शस्त्र लाइसेंस है तो वह जीवित रहते या फिर उसकी मृत्यु के बाद लाइसेंस रक्त संबंधी के नाम पर ट्रांसफर करने का नियम है। इसके लिए पूरी प्रक्रिया नए शस्त्र लाइसेंस निर्माण की तरह ही पूरी करनी होती है। चूंकि ट्रांसफर के लिए कोई निश्चित अवधि का नियम नहीं है, इसलिए आवेदकों को कुछ राहत है। अधिकारी भी यही कहते हैं कि जब रजिस्टर मिल जाएगा तो आवेदनों को प्राथमिकता पर निस्तारित किया जाएगा।
41 हजार से ज्यादा लाइसेंस की जांच
शहर में 41 हजार 600 से अधिक शस्त्र लाइसेंस धारक हैं। इसमें राइफल, पिस्टल, रिवाल्वर, डबल बैरल और सिंगल बैरल असलहे शामिल है। ऐसे में इसका सत्यापन कराने के लिए एसीएम द्वितीय को नोडल अफसर बनाया गया था। उनकी मदद के लिए तीन और अपर नगर मजिस्ट्रेट लगाए गए थे। अभी भी इसकी जांच चल रही है। बता दें कि बिकरू कांड के बाद कई फर्जी लाइसेंस पकड़े गए थे जिसके बाद 350 से ज्यादा हथियारों के लाइसेंस को निरस्त कर दिए गए थे।
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बदल गए 5 डीएम
अधिकारियों ने बताया कि पिछले सात सालों में पांच डीएम बदल चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी शस्त्र लाइसेंस एक भी जारी नहीं हुआ है। इनमें पूर्व डीएम विजय विश्वास पंत, बहृमदेव तिवारी, आलोक तिवारी, विशाख जी, नेहा शर्मा शामिल है। बता दें कि डीएम विशाख जी की कानपुर में डीएम के रूप में दोबारा पोस्टिंग है।
इनकी सबसे ज्यादा डिमांड
- प्वाइंट 32 बोर
- डबल बैरल
- रिवाल्वर
फैक्ट फाइल
2016 से जारी नहीं हो रहे शस्त्र लाइसेंस
700 वरासत लाइसेंस के लिए आवेदन
15 हजार नये लाइसेंस के लिए आवेदन
05 डीएम बदल गए, नहीं जारी हुए लाइसेंस
कोट
पिछले कई सालों से नये और वरासत वाले लाइसेंस जारी नहीं किए जा रहे हंै। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि एसआईटी लाइसेंस ट्रांसफर का रजिस्टर अपने साथ ले गई है। जांच पूरी और रजिस्टर मिलने के बाद ही आवेदनों को प्राथमिकता पर निस्तारित किया जाएगा।
रामानुज, अपर नगर मजिस्ट्रेट