-आईआईटी में हुई इंटरनेशल वर्कशॉप, पेट्रोलियम व कोल पर निभर्रता कम करने के लिए सोलर व विंड एनर्जी से पावर प्रोडक्शन पर फोकस
KANPUR: पेट्रोलियम व कोल के सीमित सोर्स होने के कारण अब रिन्यूअल एनर्जी पर तेजी से काम हो हो रहा है। इसी मैटर पर ट्यूजडे को आईआईटी के ह्यूमैनिटी एंड सोशल साइंस डिपार्टमेंट ने इंटरनेशनल वर्कशाप आयोजित की। वर्कशॉप में इंडिया, आस्ट्रेलिया और जर्मनी से आए एक्सपर्ट्स ने शिरकत की। कांफ्रेंस में शिरकत करने आए तमिलनाडु के इंवायरमेंट कैंपेनर सुन्दर राजन ने बताया कि तमिलनाडु देश का पहले स्टेट बन गया है जहां पर रिन्यूअल एनर्जी की फील्ड में सबसे ज्यादा प्रोडक्शन किया जा रहा है। विंड एनर्जी से करीब 8 हजार मेगावाट और सोलर एनर्जी से करीब 2631 मेगावाट बिजली बनाई जा रही है।
एक्सपर्ट्स ने रखे व्यूज
इंटरनेशनल वर्कशाप के कन्वीनर डॉ। प्रदीप स्वर्णकार ने बताया कि साल 2050 तक कोल व पेट्रोलियम की उपलब्धता खत्म हो जाएगी। ऐसे में रिन्यूअल एनर्जी का प्रोडक्शन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। तीन साल में करीब 100 गीगावाट रिन्यूअल एनर्जी के प्रोडक्शन का लक्ष्य रखा गया है। वर्कशॉप में रिन्यूअल एनर्जी रिसोर्स, उनकी कॉस्ट और क्वॉलिटी पर मंथन किया जा रहा है। जर्मनी म्यूनिख से आए मिस्टर मुलर ने अपने विचार रखे। प्रोग्राम में के। कोहली, ज्योति पारिख, जेम्स गुडमैन, गोपाल के सारंगी, देवलीना घोष, दीपिका स्वामी, डीएस राय, एके स्वैन, अशोक श्रीनिवास, आरती खोसला मौजूद रहीं।