- कानपुर जू में चार दिनों में एक के बाद एक पक्षियों की मौत से प्रशासन अलर्ट, भोपाल लैब भेजे सैम्पल
- प्रोटोकॉल के साथ डिस्पोज किए शव, बर्ड फ्लू की संभावना से इनकार नहीं, जांच रिपोर्ट का इंतजार
>kanpur@inext.co.in
KANPUR : बर्ड फ्लू के खतरे के बीच कानपुर जू में बीते चार दिनों में एक के बाद एक 10 पक्षियों के मरने की खबर से थर्सडे को हड़कंप मच गया। आनन-फानन में जू में बने पक्षियों के बाड़े और 'वॉक इन आएवरी' को विजिटर्स के लिए बंद कर दिया गया। मरने वाले सभी पक्षियों का पोस्टमार्टम कराने के साथ उनके सैंपल भोपाल स्थित नेशनल फॉरेस्ट इंस्टीट्यूट जांच के लिए भेजे गए हैं। जू एडमिनिस्ट्रेशन ने इसकी जानकारी शासन को भेजी है। जिसके बाद जिला मुख्य पशु चिकित्साधिकारी टीम के साथ जू पहुंचे। जू में प्रवासी पक्षियों के आने के इस सीजन में पक्षियों की मौत से अभी बर्ड फ्लू की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा है।
10 रेड जंगल फाउल की मौत
कानपुर जू में 2 जनवरी से रेड जंगल फाउल(जंगली मुर्गी) के मरने का सिलसिला शुरू हुआ। थर्सडे सुबह भी 3 जंगल फाउल की मौत हो गई। जिसके बाद जू प्रशासन हरकत में आया। जू डायरेक्टर ने सभी 10 जंगल फाउल का जू अस्पताल में पोस्टमार्टम कराने के निर्देश दिए। साथ ही इन पक्षियों के सैंपल भोपाल स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट मैनेजमेंट में जांच के लिए भिजवाए। जू डायरेक्टर सुनील चौधरी के मुताबिक इन पक्षियों की मौत के पीछे किसी तरह का वायरल इंफेक्शन हो सकता है। उन्होंने रानीखेत न्यू कॉसल डिसीज होने की भी संभावना जाहिर की है, लेकिन बर्ड फ्लू होने की संभावना से इंकार भी नहंी किया है। पोस्टमार्टम के बाद इन सभी रेड जंगल फाउल के शवों को पूरे प्रोटोकॉल के साथ डिस्पोज कराया गया।
विजिटर्स के लिए बंद
जू डायरेक्टर सुनील चौधरी ने जानकारी दी कि अहतियातन जू की वॉक इन आएवरी और पक्षियों के दूसरे बाड़ों को बंद कर दिया गया है। जू में अभी 48 प्रजातियों के 508 पक्षी हैं। रिपोर्ट आने तक इन सभी की बायो सिक्योरिटी का पूरा इंतजाम किया जा रहा है।
इसलिए बर्ड फ्लू का खतरा
-जू की झील में प्रवासी पक्षियों के आने का सीजन
-काफी पक्षी हिमाचल और हरियाणा की ओर से आए
-8 तरह के प्रवासी पक्षी आम तौर पर झील में आते हैं
-ऐसे में उनकी बीट कहीं भी गिर सकती है।
-कई जानवरों को खाने में चिकन भी दिया जाता है
हरकत में आया शासन
कानपुर जू में पक्षियों की अचानक मौत की खबर शासन तक भी पहुंची। पशुपालन विभाग के एडिश्नल डायरेक्टर और मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ)) भी कानपुर जू पहुंच गए। उन्होंने पक्षियों को रखने की जगहों का निरीक्षण करने के साथ ही जू अस्पताल में डॉक्टर्स से बातचीत की। सीवीओ डॉ। एपी मिश्र ने जानकारी दी कि जू में बायो सिक्योरिटी का अच्छा इंतजाम है। चूंकि यहां प्रवासी पक्षी भी आ रहे हैं। ऐसे में सतर्कता बरतना बेहद जरूरी है। हमने जू प्रशासन के अधिकारियों से बातचीत कर हालात की समीक्षा की है। सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
मरने वाले पक्षियों के सैंपल जांच के लिए भोपाल स्थित आईआईएफएम भेजे हैं। साथ ही पक्षियों के बाड़ों और वॉक इन आएवरी को एहतियातन दर्शकों के लिए बंद कर दिया गया है।
-सुनील चौधरी, जू डायरेक्टर
पक्षियों की मौत के बाद जू पहुंच कर हालात की जानकारी ली है। यहां जू प्रशासन की ओर से पहले से ही काफी अच्छे इंतजाम किए गए हैं। बर्ड फ्लू को लेकर जरूरी एहतियात बरतने के लिए कहा है।
-डॉ। एपी मिश्रा, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी
क्या है बर्ड फ्लू?
यह पक्षियों में वायरल इंफेक्शन की वजह से होने वाली बीमारी है जोकि स्पीसीज बैरियर को क्रास कर इंसानों को भी इंफेक्ट करती है। कोरोना वायरस और स्वाइन फ्लू की तरह की यह इंसानों के लंग्स पर ही असर डालता है।
इंसानों में कैसे फैलता है?
पक्षी की बीट के संपर्क में आने से या हवा के जरिए।
पक्षियों में इंफेक्शन के लक्षण-
- कलगी व पैरों का बैंगनी हो जाना, पक्षियों के गर्दन और आंखों के निचले हिस्से में सूजन
- हरे और लाल रंग की बीट
इंसानों में लक्षण
- सर्दी, जुकाम और खांसी आना
- गले में खराश, मसल्स में पेन और सांस लेने में दिक्कत होना, मल्टी आर्गन फेल्योर भी कई बार
ऐसे करें बचाव
- बर्ड फार्म, बर्ड सेंचुरी, किसी जलाशय या झील के पास जाने से बचे
- पक्षी फार्म या सुअर पालन से बचे
- अंडे और मांस को खूब पका कर खाएं