मुंबई- भारत

सबसे पहले बात भारत की। भारत का ज़िक्र होते ही ट्रैफ़िक के मामले में जिस शहर का नाम सबसे पहले ज़ेहन में आता है, वो है मुंबई। मुंबई से डेविड जेम्स कहते हैं कि यहाँ पाँच किलोमीटर लंबा जाम लगना और उस पर आपकी गाड़ी के बग़ल में कोई गाय या भिखारी खड़ा हो तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है।

डेविड कहते हैं कि यहां हर किसी को ये लगता है कि उसकी कार के आगे खड़ी गाड़ी जैसे पेट्रोल से नहीं बल्कि उसके हॉर्न के हिसाब से चलती है, तो बस इलाज यही है कि हॉर्न बजाते रहो और आगे बढ़ते रहो।

बैंकॉक और जकार्ता

थाईलैंड की बात करें तो राजधानी बैंकॉक में भी ट्रैफ़िक का बुरा हाल है। सिरिथेप वाड्राक्चिट अपने बुरे अनुभव को साझा करते हुए कहते हैं कि जाम में वो एक बार ऐसे फंसे कि एक किलोमीटर से भी कम दूरी तय करने में लगभग दो घंटे लग गए।

वे कहते हैं कि थाईलैंड के लोगों में कार ख़रीदने की बड़ी इच्छा रहती है और इस वजह से यहां की सड़कों पर कारों का सैलाब नज़र आता है। बैंकॉक में इस समय लगभग 50 लाख गाड़ियां हैं जबकि शहर की सड़कों पर 20 लाख गाड़ियों के दौड़ने की भी जगह नहीं है।

इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में रहने वाले एलन बेल बताते हैं कि जकार्ता की सड़कों पर तो दिन भर जाम लगा रहता है। वो इसके लिए यहां सार्वजनिक परिवहन प्रणाली यानी पब्लिक ट्रांसपोर्ट की ख़राब हालत को ज़िम्मेदार बताते हैं।

नैरोबी और कंपाला

कीनिया में नैरोबी में वाले आर्थर बुलिवा कहते हैं कि यहाँ गोल चक्कर बहुत हैं जिसकी वजह से ट्रैफ़िक बेहद धीमा हो जाता है और फिर जाम लग जाता है। उनके मुताबिक़ ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन ने जो कुछ भी बुरा किया, उसमें से सबसे ख़राब है कि सड़कों पर गोल-गोल चक्कर बना दिए.Nairobi traffic

वो कहते हैं कि यहां आपको एक किलोमीटर दूर भी जाना है तो बेहतर यही होगा कि आप एक घंटे पहले अपने घर से निकले, तभी शायद समय पर पहुंच सकेंगे। वहीं युगांडा में कंपाला के बॉब सेंबात्या बताते हैं कि उन्हें भी हर सुबह और शाम को ट्रैफ़िक जाम से दो-चार होना पड़ता है।

इसके अलावा बारिश में हालत और भी बुरी हो जाती है। दरअसल बॉब के अनुसार वहाँ सड़कों की हालत बेहद ख़राब है और उस पर से जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने से हालात बदतर होते जा रहे हैं। वह बताते हैं कि हालाँकि जाम बहुत लंबी दूर का नहीं होता मगर आम-तौर पर हर जगह ट्रैफ़िक अस्त-व्यस्त हो जाता है।

जकार्ता और टेक्सस

फ़िलीपींस की लॉस पिनास सिटी में रहने वाले बर्नी जी रेकरियो ने बताया कि उनके देश में ट्रैफ़िक की समस्या पहले गंभीर थी। उन्होंने बड़ी रोचक बात बताई कि यहां यदि आपकी कार का रजिस्ट्रेशन नंबर एक या दो से शुरू होता है तो आपको सोमवार को कार चलाने की अनुमति नहीं है।

इसी तरह कार की नंबर प्लेट यदि तीन या चार से शुरू होती है तो मंगलवार को आपकी कार सड़क पर नहीं आ सकती। बर्नी बताते हैं कि इससे ट्रैफ़िक में बड़ी राहत मिलती है लेकिन शनिवार-रविवार को ये प्रतिबंध लागू नहीं होता और इन्हीं दिनों शहर के ट्रैफ़िक की दुर्दशा सामने आती है।

अमरीका के टेक्सस में रहने वाले ऑस्टिन एक अलग ही कहानी बताते हैं। वो कहते हैं कि यहां लोग अपनी कारों में चलना पसंद करते हैं, इस वजह से सिटी बस और ट्राम ख़ाली नज़र आते हैं और यही कारें ट्रैफ़िक जाम का सबब बनती हैं।

सोल, ढाका और साओ पाओलो

Sao Paulo trafficमार्टिन मारेक, सोल में रहते हैं जो दक्षिण कोरिया की राजधानी है। वो बताते हैं कि यहां लोग यातायात नियमों की परवाह नहीं करते हैं। नतीजा ये होता है कि ग्रीन लाइट होते हुए भी आप आगे नहीं बढ़ पाते क्योंकि रेड लाइट वाला बीच में अपनी कार लगा देता है और फिर ट्रैफ़िक जाम लग जाता है।

बांग्लादेश की राजधानी ढाका को दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला शहर बताते हुए जोसहुआ मार्टिन ने लिखा है कि ऑटो रिक्शा में सवार होकर 15 किलोमीटर की दूरी तय करने में यहां तीन घंटे तक का समय लग सकता है।

वे कहते हैं कि यहां सड़कों पर धूल, धुंआ, गर्मी और ध्वनि प्रदूषण बहुत ही ज़्यादा है, यातायात के नियमों को आमतौर पर लागू नहीं किया जाता और गाड़ियां अपनी मनमर्ज़ी से चलती हैं।

और आख़िर में ब्राज़ील के सबसे बड़े शहर साओ पाओलो का हाल आपको बताते चलें, जहां इस हफ़्ते कुछ जगहों पर दो-पांच या दस नहीं बल्कि 180 किलोमीटर तक ट्रैफ़िक जाम हो गया था।

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