- आबादी बढ़ती गई भू-जल स्तर घटता गया

- पोखरे और कुंआ गायब होने से खड़ी हुई प्राब्लम

- सिटी का कई एरिया दूषित जल स्तर के प्रकोप में

GORAKHPUR: सिटी में आबादी तो बढ़ती गई, लेकिन उसके अनुपात में संसाधन नहींबढ़े। ऐसा नहींहै कि इसके लिए कोशिश नहींकी गई। गोरखपुर नगर निगम ने बढ़ती आबादी के हिसाब से जल संसाधनों पर ध्यान तो दिया, लेकिन गिरते भू जल स्तर ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। आज व‌र्ल्ड वाटर डे के मौके आई नेक्स्ट आपको बताएगा कैसे सिटी में गिरते भू जल स्तर ने आने वाले समय के लिए समस्या खड़ी कर दी है। शहर के केवल भूल जल पर निर्भर रहने के कारण स्थिति भयावह हो गई है। अब तो विशेषज्ञ भी कहने लगे हैं कि अगर समय रहते नहींचेते तो शहर में पानी को लेकर हाहाकार मच जाएगा।

लेकिन भू-जल स्तर गिरता गया

सिटी में गिरते भू जल स्तर का सबसे महत्वपूर्ण कारण है लोगों का केवल इसी संसाधन पर निर्भर रहना। ख्00क् में नगर निगम की कुल आबादी म्.ख्ख् लाख थी। उस समय सिटी के भ्0 प्रतिशत हिस्से में जलकल की ओर से वाटर सप्लाई किया जाता था। इसके लिए 79 छोटे और बड़े ट्यूबवेल लगे थे। वर्तमान में सिटी की जनसंख्या क्ख्.फ्7 लाख है। आज भी म्8 फीसदी आबादी को जलकल ही पानी सप्लाई करता है। इसके लिए जलकल ने क्ख्क् बड़े और छोटे ट्यूबवेल लगाए हैं, लेकिन पानी के लिए केवल भू जल पर निर्भर करने के कारण वाटर लेवल लगातार घटता गया। वहीं फ्ख् प्रतिशत हिस्से में पानी सप्लाई के लिए फ्97भ् इंडियामार्का हैंडपंप लगाए गए हैं। जलकल जेई पीएन मिश्रा का कहना है कि ख्00क् में ख्भ्0 फीट की गहराई पर पानी मिल जाता था, लेकिन आज ब्भ्0 फीट पर पानी मिलना मुश्किल हो जाता है। जल निगम का कहना है कि सिटी में भू जल के तीन लेवल हैं। सिटी में ब्0 फीट पर भी पानी मिल जाता है, लेकिन यूज करने लायक पानी क्80 फीट पर ही मिलता है। वहींसिटी में पीने के पानी के लिए ब्भ्0 फीट तक ट्यूबवेल लगाना पड़ता है। नगर निगम का मानना है कि जहां इतनी गहराई पर ट्यूबवेल लगाते हैं, उस इलाके में आने वाले ख्0 सालों तक पानी की सप्लाई होती है।

80 तालाब और कुंओं के भरोसे भू-जल संरक्षण

नगर निगम की सीमा के अंदर के भू-जल संरक्षण की जिम्मेदारी कुल 80 तालाब और कुंओं के भरोसे हैं। नगर निगम के नक्शे में करीब ख्00 कुएं हैं तो क्भ्0 से अधिक तालाब। जबकि कड़वी सच्चाई यह है कि वर्तमान में सिटी में कुल ब्ख् ही कुएं हैं और केवल फ्8 तालाब। कुल मिलाकर क्ख् लाख से अधिक लोगों के लिए भूल जल संरक्षण की जिम्मेदारी इन 80 कुओं और तालाबों के भरोसे हैं।

इन एरिया में सबसे अधिक परेशानी

सिटी के कई एरिया में पानी की किल्लत होनी शुरू हो गई है। स्थिति यह है कि कई एरिया में पानी का औसत लेवल डेंजर लेवल तक पहुंच गया है। सबसे अधिक प्रदूषित पानी वाले इलाकों में गोलघर, रेती चौक, बिछिया, पादरी बाजार, सेमरा, लच्छीपुर, रसूलपुर, बहरामपुर, नौसड़ और रानीबाग हैं। जलकल की मानें तो इस एरिया में औसतन ख्भ्0 से फ्00 फीट पर पीने योग्य पानी मिल जाता था, लेकिन पिछले दो सालों के दौरान इनका लेवल ब्भ्0 फीट से भी नीचे चला गया है। यही वजह है कि कुछ इलाकों में पानी के साथ बालू आने की शिकायत आ रही है।

एक करोड़ रुपए का है पानी का कारोबार

दूषित पानी पब्लिक की हेल्थ से तो खिलवाड़ कर ही रहा है। साथ ही इस समय पानी का कारोबार करने वालों की पौबारह है। पानी के जार का व्यापार करने वाले हरीश सिंह का कहना है कि इस समय सिटी में लगभग ख्00 से अधिक लोग पानी के जार का व्यापार कर रहे हैं। जार का व्यापार सबसे अधिक गोलघर, रेती, गीता प्रेस, नखास जैसे एरिया में हो रहा है।

स्थिति तो बहुत भयावह है। भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। नगर निगम इसके विकल्प तलाशने में लगा हुआ है।

राजेश कुमार त्यागी, नगर आयुक्त