- वर्ल्ड वॉयस डे
- दस साल में बढ़ गए दस गुना अधिक मरीज
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- दस साल में बढ़ गए दस गुना अधिक मरीज
GORAKHPUR : GORAKHPUR : भगवान ने तो सुरीली आवाज दी है, मगर समय के साथ बढ़ता पॉल्यूशन इसका दुश्मन बन गया है। सड़कों पर दौड़ती तेज रफ्तार गाडि़यां और हॉर्न की आवाज के साथ स्टेटस में शामिल हो चुकी स्मोकिंग और ड्रिकिंग ने सुरीली आवाज पर करारा वार किया है। साल दर साल बीतने के साथ वॉयस के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। दस साल पहले जहां क्00 में एक मरीज बमुश्किल से मिलता था, वहीं अब क्0 बड़े आसानी से मिल जाते हैं।
अब आवाज नहीं रह गई पहचान
पहले लोगों की पहचान उनकी आवाज से कर ली जाती थी, मगर अब कोई दावा करे कि मेरी पहचान मेरी आवाज से है तो कहना मुश्किल होगा। क्योंकि वॉयस के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रहा है, मतलब समय के साथ आवाज में चेंज आ रहा है। अगर इसे मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया तो कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।
ये बीमारियां खराब करती हैं आवाज
- आवाज का बैठना
- गले में खराश
- आवाज निकलने में दर्द होना
- दम फूलना
- आवाज का पतला या मोटा होना
- बोलते समय खांसी आना
- मुंह से बलगम या खून का आना
रीजन
- गले में इंफेक्शन
- बहुत तेज बोलना (स्वर यंत्र में सूजन आ जाती है)
- लंबे समय तक खाली पेट रहने या व्रत रखने से पेट से निकलने वाली एसिड का इफेक्ट
- ऐसे प्रोफेशन, जिसमें अधिक बोलना पड़ता हो
- साउंड पॉल्यूशन
- स्मोकिंग से निकलने वाला धुआं
- शराब का सेवन
- स्मोकिंग के साथ शराब, कैंसर दे सकता है
- टेंशन
भागती लाइफस्टाइल और बढ़ता साउंड पॉल्यूशन वॉयस का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है। पिछले कुछ सालों से वॉयस से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। अगर इसमें लापरवाही की गई तो धीरे-धीरे आवाज पूरी तरह चेंज होने लगती है।
डॉ। पीएन जायसवाल, ईएनटी सर्जन