GORAKHPUR : कहीं आपको भी तो टीबी नहीं है? आप सोच रहे होंगे, मैं तो अच्छे मकान में रहता हूं। साफ-सुथरे कपड़े पहनता हूं। अच्छा खाता हूं। मुझे कैसे टीबी हो सकती है। आपकी यही अधूरी जानकारी टीबी के लिए काफी है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि गोरखपुर जिले में 8भ् प्रतिशत टीबी के मरीज इसी अधूरी जानकारी के कारण है। शहर हो या गांव हर जगह टीबी लापरवाही के पैरों से चलकर शरीर में प्रवेश कर रही है। आई नेक्स्ट ने एक वीक तक टीबी को लेकर इन्वेस्टिगेशन किया, कि आखिर यह कहां, कैसे, क्यों फैल रही है, तो चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने आए। पढि़ए आई नेक्स्ट की यह खास रिपोर्ट।
शराब से लेकर संक्रमण तक
टीबी वाला गांव यानी गाढ़ा सार। गोरखपुर से फ्7 किलोमीटर दूर इस गांव में जब हमारी टीम पहुंची तो वहां दूर-दूर तक सन्नाटा पसरा हुआ था। जिस घर के सामने गुजरें, वहीं से सिर्फ खांसी और कराहने की आवाजे सुनाई दी। दूर बैठे कुछ लोग नशे में धुत थे। पूछने पर कोई भी यह बताने को तैयार नहीं था कि उसे टीबी है। घरों के बाहर डाट्स के कई खाली पैकेट दिखाई दिए। हमने एक बुजुर्ग महिला से जैसे ही यह पूछा कि आपके बेटे को भी टीबी है, वह रोने लगी। आंसू पोछते हुए उसने कहा, बबुआ ईहां तो घर घर मा टीबी बाय। उसने बताया कि पास की शराब फैक्ट्री में लोग मजदूरी करते हैं। शाम को वही शराब पीकर मस्त हो जाते हैं। किसी को अपनी तबियत की कोई चिंता नहीं है।
संक्रमण का होत है
जब हमारी टीम गांव में घूम रही थी, उसी समय एक क्7 साल का लड़का जोर-जोर से खांसता हुआ दिखाई दिया। उसने बताया कि उसे भी टीबी बताई गई है। जब हमने उससे यह पूछा कि तुम्हें कहां से हुई तो वह कोई जवाब नहीं दे पाया। लेकिन, उसके मुंह से निकली अगली खांसी ने हमें सब कुछ बयां कर दिया। उसने खांसते समय न तो मुंह पर हाथ रखा और न कपड़ा। जब हमने उससे पूछा कि तुम्हारी ही खांसी से दूसरे को संक्रमण हो सकता है। तो उसने पलट कर पूछा साहब ई संक्रमण का हौला। इहां सब ऐसे खोखें लें। बात साफ थी, यहां हर किसी को टीबी एक-दूसरे के संक्रमण से हो रही है।
फ् महीने में 7ख् टीबी पॉजिटीव
नागरिक जनहितकारी समिति के सचिव प्रह्लाद बताते हैं कि गोरखपुर के आसपास के ग्रामीण इलाकों में टीबी बहुत तेजी से फैल रही है। जंगल डूमरी और हरपुर जैसे गांवों में फ् महीने में 7ख् टीबी पॉजिटीव मरीज मिले हैं। ये सभी मरीज कच्ची शराब बनाने वाले मजदूरहैं। ये लोग खानपान और रहनसहन में किसी भी तरह से परहेज नहीं करते हैं। यही कारण है कि किसी एक को यह बीमारी हुई और संक्रमित होकर सभी को हो गई।
एक साल में ब् हजार मरीज
गोरखपुर जिले के डिस्ट्रिक टीबी हॉस्पिटल के आंकड़ों पर नजर डालें तो सामने आता है कि एक साल में लगभग ब् हजार मरीज टीबी के आए। इनमें से 80-8भ् प्रतिशत मरीजों को टीबी मामूली संक्रमण से हुआ था। यानी किसी टीबी मरीज के सामने खांस देने जैसी नॉर्मल हरकत से कीटाणु सामने वाले व्यक्ति के शरीर में गए और उसे भी टीबी हो गया। शहर के अधिकांश मरीज घनी आबादी में रहने वाले थे, जिससे यह साफ जाहिर है कि हल्की सी लापरवाही ने उन्हें टीबी का मरीज बना दिया। हालांकि हॉस्पिटल का दावा है कि 8भ् प्रतिशत को वे स्वस्थ्य करने में कामयाब रहे।
जानकारी और लापरवाही के कारण टीबी भयावह बीमारी होती जा रही है। वरना सरकार इस बीमारी के लिए निशुल्क दवाइयां दे रही है। मरीज दवा का कोर्स पूरा कर स्वस्थ्य हो सकता है।
डॉ। पीके मिश्रा, जिला क्षय रोक अधिकारी, गोरखपुर
इसे बॉक्स में लगाए
यह बात म् महीने पुरानी है। मेरा वजन निरंतर घट रहा था। हमेशा बुखार और सिर दर्द बना रहता था। मैंने जब डॉक्टर को दिखाया तो उसने बताया कि मुझे टीबी है, उस समय में तो मानो मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। जीने की चाह ही खत्म हो गई। बेटे का चेहरा देख रोना आ गया, लेकिन उसी पल लगा कि मुझे जीना है। अपने बच्चे के लिए, परिवार के लिए। मैंने इलाज शुरू किया। लेकिन, हालत में सुधार नहीं आया। फिर मुझे किसी ने बताया कि सरकारी विभाग में इसका मुफ्त इलाज होता है। मैंने डाट्स का कोर्स करना शुरू कर दिया है। उम्मीद है कि मैं जल्दी स्वस्थ्य हो जाऊंगी। जानकारी और लापरवाही के अभाव में मैंने बहुत कुछ सहा है। मुझे जब से यह पता चला है कि खांसते समय मुंह पर कपड़ा न रखने से मेरे आसपास के लोगों को भी यह बीमारी हो सकती है, तब से मैं इस बात का विशेष ध्यान रखती हूं।
टीबी के लक्षण-
- लगातार खांसी आना
- बलगम के साथ कभी-कभी खून आना
- सीने में दर्द
- हल्का बुखार
- भूख न लगना
- वजन कम होना
बीमारी के मुख्य कारण-
- संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना
- टीबी संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने के समय मुंह पर कपड़ा न लगाना
- टीबी की दवा का पूरा कोर्स न करना