- रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है तंबाकू

- कोविड के दौरान लॉक डाउन में अनएविलिबिल्टी के बाद भी लोगों को नहीं हुई है प्रॉब्लम

- अगर दृढ़ निश्चय कर लिया जाए, तो छोड़ी जा सकती है कोई भी लत

<- रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बन गया है तंबाकू

- कोविड के दौरान लॉक डाउन में अनएविलिबिल्टी के बाद भी लोगों को नहीं हुई है प्रॉब्लम

- अगर दृढ़ निश्चय कर लिया जाए, तो छोड़ी जा सकती है कोई भी लत

GORAKHPUR: GORAKHPUR: नशा, एक ऐसी बीमारी जो कोविड जैसी तेज तो नहीं है, लेकिन धीरे-धीरे वह भी लोगों को मौत की आगोश तक पहुंचा रही है। लोग भी बेपरवाह होकर इस मीठे जहर को अपनाने में लगे हैं और अपनी उम्र को खुद कम कर रहे हैं। मगर अगर हम ठान लें, तो तंबाकू को आसानी से छोड़ सकते हैं। ऐसा नहीं है कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं, क्योंकि कोविड-क्9 के लॉकडाउन के दौरान तंबाकू पर लगे बैन के बाद भी सभी ने आसानी से सर्वाइव किया है। सिर्फ दृढ़ निश्चय कर लिया जाए, तो हम आसानी से तंबाकू की लत को छोड़ सकते हैं।

गोरखपुर में हर रोज क्00 मरीज

धुआं उड़ाना यूथ्स के शौक में शुमार हो चुका है। मगर यह शौक उनके और आसपास रहने वालों के लिए जानलेवा बन रहा है। देश में हर रोज म्000 से ज्यादा नए केस डायग्नोज हो रहे हैं, जिसमें यूथ शिकार बन रहे हैं। खासतौर पर स्मोकिंग से होने वाली बीमारियां इन्हें कब्जे में ले रही है। गोरखपुर की बात करें तो यहां भी इसका असर कम नहीं है। शहर में रोजाना क्00 से ज्यादा नए मरीज मिल रहे हैं, जिन्हें स्मोकिंग की वजह से होने वाली सबसे कॉमन बीमारी सीओपीडी घेर ले रही है। इसमें एक केस में कैंसर की डायग्नोसिस भी रही है।

हर कश कम कर रहा एक मिनट

स्टाइल में रहने के लिए यूथ सिगरेट का शौकिया इस्तेमाल कर रहे हैं। मगर उन्हें यह नहीं मालूम की उनके एक सेकेंड का छोटा सा कश उनकी जिंदगी के कीमती एक मिनट कम कर दे रहा है। डॉक्टर्स की मानें तो एक सिगरेट जिंदगी के क्क् मिनट कम कर देती है, इस तरह अगर आंकड़ों पर ध्यान दें तो एक आदमी अगर दिन भर में एक डिब्बा सिगरेट पीता है, तो उसके क्क्0 मिनट यानि कि करीब ख् घंटे कम हो रहे हैं।

ख्00 स्मोक इयर खतरनाक

डॉक्टर्स की लैंगवेज में अगर समझा जाए, तो सिगरेट पीने वालों के लिए ख्00 स्मोक इयर खतरे की घंटी है। अगर यह आंकड़ा पार किया, तो लोगों को कैंसर होना तय है। चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। वीएन अग्रवाल की मानें तो अगर एक व्यक्ति एक दिन में ख्0 सिगरेट पी रहा है और उसने लगातार दस साल तक सिगरेट पी है, तो यह ख्00 स्मोक इयर के बराबर होगी। इसी तरह ब्0 सिगरेट भ् साल तक लगातार पीने वाले भी ख्00 स्मोक इयर का आंकड़ा छू लेंगे। ऐसा नहीं है कि ख्00 स्मोक इयर पहुंचने के बाद सिगरेट छोड़ने पर फौरन ही रिलीफ मिल जाएगी, बल्कि इस पीरियड से स्मोकिंग छोड़ने के क्0 साल के बाद कैंसर होने का खतरा भ्0 परसेंट तक कम होता है।

किसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल

स्मोकिंग प्रॉडक्ट -

बीडी

मेल - क्म् परसेंट

फीमेल - क्.9 परसेंट

सिगरेट

मेल - क्0.फ् परसेंट

फीमेल - 0.8 परसेंट

अदर्स

मेल - क्.9 परसेंट

फीमेल - 0.9 परसेंट

स्मोकलेस प्रॉडक्ट्स

खैनी

मेल - क्8.0 परसेंट

फीमेल - ब्.7 परसेंट

गुटखा

मेल - क्फ्.क् परसेंट

फीमेल - ख्.9 परसेंट

पान विद टोबैको

मेल - 7.भ् परसेंट

फीमेल - ब्.9 परसेंट

अदर्स

मेल - म्.ब् परसेंट

फीमेल - क्0.भ् परसेंट

टोबैको यूज एज वाइज -

ओवरऑल

एज ग्रुप मेल फीमेल

क्भ्-ख्ब् ख्7.ब् 08.फ्

ख्भ्-ब्ब् भ्ब्.म् क्9.0

ब्भ्-म्भ् म्क्.क् फ्ख्.क्

म्भ् से ऊपर भ्भ्.7 ब्0.ख्

नोट - डाटा सोर्स - गैट्स सर्वे

क्या है खतरा -

सीओपीडी

लंग कैंसर

मुंह का कैंसर

खाने की नली का कैंसर

पैनक्रियाज का कैंसर

यूनिब्लैडर का कैंसर

यह हैं सीओपीडी के सिम्प्टंस

सांस फूलना

बार-बार खांसी आना

खांसी के साथ कफ आना

रेग्लुयर वेट लॉस

बचने के लिए क्या करें?

- दृढ़ निश्चय करें

- स्मोकर्स से दूर रहें

- अकेले न रहें

- मुंह को खाली न रहने दें

- हाथ में मोबाइल, चाभी का छल्ला या कोई सामान लिए रहें

- प्रणायाम और मेडिटेशन भी लें

- निकोटिन चिविंग गम का इस्तेमाल करें।

स्मोकिंग करना या उसे छोड़ना खुद उस आदमी के ऊपर डिपेंड करता है। अगर दृढ़ इच्छा शक्ति है, तो आदमी सिगरेट छोड़ सकता है। वरना लाख कोशिशों के बाद भी किसी से सिगरेट नहीं छुड़ाई जा सकती है। गोरखपुर में करीब क्00 से ज्यादा नए पेशेंट्स डायग्नोज हो रहे हैं। इसमें एक्का-दुक्का कैंसर के केसेज भी शामिल हैं।

- डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट