- व‌र्ल्ड सीओपीडी डे स्पेशल

- स्मोकिंग है मेन रीजन, दुनिया की चौथी सबसे खतरनाक बीमारी

GORAKHPUR : सीओपीडी(क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) दुनिया में मौतों की चौथी सबसे बड़ी वजह है। यह आंकड़ा ही इस बीमारी की भयावहता साबित करने को काफी है। विकसित देशों में भी सीओपीडी से जुड़ी जागरूकता की कमी है जिस वजह से दुनिया के 80 फीसदी लोग इसकी चपेट में हैं। सिगरेट, बीड़ी, हुक्का जैसे नशीले पदार्थो का धुआं फेफड़ों को बहुत नुकसान पहुंचाता है। दुनिया भर में सीओपीडी से जुड़ी जागरूकता की कमी को देखते हुए 2002 में एक अभियान शुरु किया गया। इसके तहत हर साल एक दिन व‌र्ल्ड सीओपीडी डे के तौर पर मनाया जाता है।

क्या है सीओपीडी?

सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारियां हैं जो सांस लेना मुश्किल करती हैं। इसमें सांस की नलियां सिकुड़ती चली जाती हैं और सूजन बढ़ती रहती है। समय के साथ बीमारी बढ़ती चली जाती है और मौत दरवाजे पर होती है। सीओपीडी की मुख्य वजह धूम्रपान है जो कि 15-50 प्रतिशत लोगों को काल के गाल में डालती है। कहा कि एक नये शोध के मुताबिक प्रतिदिन 500 एमएल या अधिक मात्रा में शीतल पेय का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों में सीओपीडी होने की संभावना अधिक होती है।

व‌र्ल्ड सीओपीडी डे

व‌र्ल्ड सीओपीडी डे की शुरुआत 2002 में हुई। गोल्ड(ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर क्रॉनिक आब्स्ट्रक्टिव लंग डिजीज) हर साल एक विशेष थीम पर आयोजन करता है और हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को इन बीमारियों से लड़ने के संसाधन मुहैया कराता है। करीब 50 देशो में ये एक्टिविटी ऑर्गनाइज होती है। इस साल की थीम है, 'अभी देर नहीं हुई'।

डराती है सीओपीडी

- दुनिया भर में 65 करोड़ लोग गंभीर सीओपीडी से पीडि़त हैं।

- हर साल 30 लाख से ज्यादा सीओपीडी के चलते जान गंवाते हैं।

- अ‌र्द्घविकसित और अल्पविकसित देशों में 90 प्रतिशत मौतें होती हैं।

- 2030 तक सीओपीडी दुनिया में मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह होगी।

क्या हैं लक्षण?

- सांस फूलना

- लगातार बलगम युक्त खांसी आना

- खून की कमी

ऐसे बचें

- फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों का सेवन बंद कर दें।

- अपने घर में पर्याप्त हवा का आवागमन सुनिश्चित करें।

- रेग्युलर एक्सरसाइज करें। एक अच्छी दौड़ फायदेमंद साबित होगी।

- अच्छा और सुपाच्य भोजन करें।

सीओपीडी पूरी दुनिया के सामने बहुत गंभीर समस्या है। लोगों में इसे लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है। पेशेंट्स को सावधानी बरतनी चाहिए। कोई प्रॉब्लम होने पर तुरंत विशेषज्ञ से संपर्क करें।

डॉ। नदीम अरशद, चेस्ट स्पेशलिस्ट