- पूर्वाचल में सबसे ज्यादा बढ़ रहे हैं एचआईवी के मरीज
- गोरखपुर में एड्स के करीब 4539 मरीजों का रजिस्ट्रेशन
GORAKHPUR: विश्व में एड्स से हर साल लाखों लोगों की मौत होती है। इस बीमारी ने अब पूर्वाचल की तरफ रूख तेज कर दिया है। पहले एचआईवी पॉजिटिव मरीज कम मिलते थे लेकिन बीते पांच साल में इनकी संख्या अचानक बढ़ गई है। एड्स के इलाज और रोकथाम के लिए मेडिकल कॉलेज में एआरटी सेंटर चलाया जा रहा है। यहां एड्स मरीजों का रजिस्ट्रेशन करके उनकी काउंसलिंग के साथ उनके इलाज की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
परिवार को भी दे दी बीमारी की सौगात
शुरुआत में बड़े शहरों में काम करने वाले छोटे कस्बे के लोग वहां से एचआईवी वायरस शरीर में लेकर आए। उन्होंने बीमारी को छिपा कर रखा और अपने परिवार को भी सौगात में बीमारी दे दी। मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर में ऐसे कई परिवार हैं जिनका इलाज चल रहा है। हालांकि मेडिकल कॉलेज उनका रिकार्ड पूरी तरह से गुप्त रखता है। गोरखपुर में अभी तक एड्स के करीब ब्भ्फ्9 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है। वहीं सात सौ से ज्यादा मरीजों की मौत हो चुकी है जबकि हर साल एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
एड्स के प्रति किया जागरूक
एक दिसंबर विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। एड्स के प्रति जागरूक करने के लिए सिटी में कई जगह कार्यक्रमों का आयोजन किया। मेडिकल कॉलेज के साथ कुशीनगर वेलफेयर फॉर पीपुल लिविंग विद और दाउद मेमोरियल क्रिश्चियन ग्रामीण विकास समिति ने एड्स दिवस पर कैंडिल मार्च निकाला और एच.आई.वी के प्रति जन जागरूकता के लिए स्कूल में कार्यशाला का आयोजन किया। इनका उद्द्ेश्य था कि दस लोगों को अवेयर करे ताकि वह दस लोग आगे दस लोगों को एड्स के प्रति अवेयर करें। जिससे बड़ी संख्या में लोग जागरूक हो सकें।
इन कारणों से होती है बीमारी
- एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध से
- एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाने से
- इन्जेक्शन से नशे की दवा लेने वालों को
- गोदना और टैटू से
- दूसरों के ब्लैड, उस्तरा के यूज से
- एचआईवी पाजिटिव महिला द्वारा नवजात शिशु को स्तनपान कराने से
बीमारी के लक्षण
- क्षय रोग, निमोनिया
- चर्म रोग संक्रमण
- लम्बे समय तक बुखार या पतला दस्त
- नाखूनों व मुंह में संक्रमण
- बार-बार श्वांस संक्रमण
- वजन कम होना
शरीर पर ऐसे पड़ता है प्रभाव
- सीडी फोर कोशिकाएं इस तंत्र का खास हिस्सा होती हैं।
- एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिसिएन्सी वायरस) व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर इन्हीं सीडी फोर कोशिकाओं को नष्ट करता है।
- पीडि़त व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है।
- शरीर में कई तरह के संक्रमण होने लगता है
- म् से 8 हफ्ते बाद एलाइजा टेस्ट पॉजीटिव आता है, इसके बाद वायरस की संख्या बढ़ने लगती है।
- 8 से क्0 साल में सीडी फोर कोशिकाओं की तादाद कम होती जाती है और मरीज में रोग के लक्षण नजर आने लगते हैं।