- कभी चोरी-छिपे तो कभी दबंगई से लकड़ी ले जा रहे तस्कर
- नाकामी धोने के लिए टास्क फोर्स गठित, वनकर्मियों की छुट्टियां रद
केस-1
मंगलवार की रात जंगल टिकरिया वन चौकी के पास ही तस्करों ने पेड़ काटकर चुनौती दी। वन कर्मचारियों की नाक नीचे पेड़ काटकर तस्कर आसानी से फरार हो गए। इसकी जानकारी बुधवार की सुबह हुई तो बदनामी से बचने के लिए कर्मचारियों ने उपाय तलाशना शुरू कर दिया।
केस-2
2 दिसंबर की रात कैंपियरगंज में तस्करों ने वन दरोगा पर हमला कर दिया था। उनको कमरे में बंद करके पीटा। अवैध ढंग से कटे पेड़ों की लकड़ी लेकर तस्कर फरार हो गए। कैंपियरगंज के भौराबारी बीट में तैनात वन दरोगा सुरेंद्र प्रसाद वन मोइनाबाद वन चौकी में तैनात थे। इस घटना ने साबित किया कि तस्करों का दुस्साहस कितना बढ़ गया है।
GORAKHPUR: जंगलों में वन कर्मचारियों की शिथिलता और तस्करों के बढ़ते दुस्साहस वाले यही दो केस नहीं हैं लेकिन हालात बयां करने के लिए यहीं काफी हैं। कभी चोरी-छिपे तो कभी सामने से तस्कर वन के पेड़ आराम से लेकर चलते बनते हैं और वन कर्मचारी देखते रह जाते हैं। बाद में जैसे-तैसे वन अधिकारी अपना बचाव करते नजर आते हैं। ठंड में बढ़ती घटनाओं से फजीहत होती देख रेंजर के नेतृत्व में टास्क फोर्स गठित की गई है। डीएफओ का दावा है कि अवैध कटान रोकने के लिए लगातार चेकिंग कराई जा रही है। हालांकि आने वाले दिन ही बताएंगे कि टास्क फोर्स तस्करों पर कितना लगाम कस पाती है।
तस्करों के निशाने पर जंगल
जिले के सभी प्रमुख जंगल- टिकरिया, कुसम्ही, कैंपियरगंज तस्करों के निशाने पर हैं। बताते हैं कि गोरखपुर ही नहीं, बल्कि देवरिया और कुशीनगर का गैंग कुसम्ही जंगल में पेड़ों की कटान में सक्रिय है। वहीं जंगल टिकरिया और कैंपियरगंज के कई जंगलों में लोकल तस्करों की धमक ज्यादा है। वन कर्मियों को इनमें से अधिकतर के बारे में जानकारी तो है लेकिन अवैध कटान से कार्रवाई के आंकड़े काफी कम हैं। यानी, तस्कर वनकर्मियों पर भारी पड़ रहे हैं।
अब तो गश्ती से भी डरने लगे
घने कोहरे में रात में गश्त करने में प्रॉब्लम होती है, यह तो सही है लेकिन यह भी सही है कि गश्ती जरूरी है। लेकिन, वन कर्मचारी गश्त के दौरान होने वाली मुठभेड़ व हमले की घटनाओं से दहशत में आ गए हैं। इस बीच वन कर्मचारियों पर हमले की घटना से इनके मनोबल पर असर पड़ा है। कर्मचारी कुछ कहते तो नहीं लेकिन हालात बताते हैं कि तस्करों पर उनकी गश्ती से कोई फर्क नहीं पड़ रहा और जंगलों में अवैध कटान जारी है।
बॉक्स
तस्करों से निपटेगी टास्क फोर्स
डीएफओ का कहना है कि जाड़े में पेड़ों की सुरक्षा को लेकर रेंजर के नेतृत्व में टास्क फोर्स का गठन कर दिया गया है। संवेदनशील जंगलों में अलग-अलग टॉस्क फोर्स की ड्यूटी लगा दी गई है। फारेस्ट कर्मचारियों की कम संख्या होने से उनकी छुट्टियां भी रद कर दी गई हैं। सभी को निर्देश दिया गया है कि मुख्यालय नहीं छोड़ेगे। यही नहीं, टीम को असलहों से लैस किया गया है ताकि किसी जरूरत पर जानमाल की रक्षा हो सके। रात में जंगल से गुजरने वाले लोगों, आसपास के रास्तों पर चलने वाले वाहनों की तलाशी कराई जा रही है। संवेदनशील फरेंदा, कैंपियरगंज, टिकरिया और कुसम्ही जंगलों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
टॉस्क फोर्स में इतने कर्मचारी
रेंजर 01
फारेस्टर 02
फारेस्ट गार्ड 03
वाचर, माली 05
वर्जन
जाड़े को देखते हुए विशेष तैयारी की गई है। संवेदनशील जंगलों में टॉस्क फोर्स नजर रख रही है। रात में संदिग्ध वाहनों की चेकिंग कराई जा रही है। पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है ताकि अवैध कटान को रोका जा सके।
अरुण कुमार, डीएफओ