- जीडीए की 30 हजार स्क्वायर मीटर जमीन के उपर से गुजरी है तार
- तार हटाने के लिए जीडीए ने बिजली विभाग को लिखा पत्र
GORAKHPUR : राप्तीनगर फेज-ब् में तारों के नीचे कैद जमीन अब आजाद होंगी। जीडीए की ओर से इसके लिए प्रपोजल तैयार कर लिया गया है। उम्मीद है कि इस माह के अंत तक हाई वोल्टेज वाले राप्तीनगर फीडर को हटाने का काम शुरू हो जाएगा। जीडीए ने इसके लिए बिजली विभाग को लगभग ब्ख् लाख रुपए भी दे दिए हैं। इस फीडर के हटने के बाद भटहट फीडर को हटाने का काम शुरू किया जाएगा। ये तार हटने के बाद जीडीए को करीब ब् करोड़ का फायदा होगा। साथ ही इस एरिया में बसे भ्0 से ज्यादा घरों को अपनी छत होने का एहसास भी होगा क्योंकि अब तक इन तारों की वजह से वे छत का यूज ही नहीं कर पाते थे।
जीडीए को ब् करोड़ का होगा फायदा
राप्तीनगर फेज-ब् में जीडीए की फ्0 हजार स्क्वायर फीट जमीन बिजली के तारों के कारण किसी भी उपयोग में नहीं है। इसमें क्0 हजार स्क्वायर फीट जमीन कामर्शियल यूज के लिए छोड़ी गई थी। इस लैंड के उपर फ्फ् हजार वोल्ट की भटहट फीडर गुजरी है। वहीं ख्0 हजार स्क्वायर फीट जमीन स्कूल के लिए छोड़ी गई है। इस जमीन के उपर से फ्फ् हजार वोल्ट की राप्तीनगर फीडर गुजरा है। इसके अलावा भटहट फीडर के नीचे कम से कम ख्0 से ख्भ् एमआईजी भवन हैं। छत से तार गुजरने के कारण लोग छत का यूज नहीं कर पाते हैं। जीडीए के एक्सईएन पंकज त्रिपाठी का कहना है कि यह तार हटा दिए जाएं और यह जमीन जीडीए बेच दे तो जीडीए को कम से कम ब् करोड़ रुपए का फायदा होगा। साथ ही जिन घरों के उपर से यह हाई वोल्टेज तार गुजरी है, उनको एक खुली छत मिल जाएगी।
लंबे समय के बाद मिला संघर्ष का लाभ
राप्तीनगर एरिया के पार्षद प्रतिनिधि चंदू पासवान की मानें तो इन तारों को हटाने के लिए कई बार जीडीए ऑफिस पर प्रदर्शन किया गया है। जीडीए हर बार केवल आश्वासन देने का काम करता रहा है। इस माह जीडीए एक फीडर हटाने की तैयारी कर रहा है। अब यह फीडर राप्तीनगर फेज-ब् के प्रमुख रोड से होते हुए जाएगा। तारों के कारण कई घर आवंटित होने के बाद भी खाली पड़े हुए थे। वहीं जिन लोगों ने घर बना लिया था, उन्होंने घर की छत को बंद कर रखा था।
एक तार को हटाने का प्रपोजल तैयार करके बिजली विभाग से बात कर ली गई है। जल्द ही दूसरा तार हटाने का प्रपोजल तैयार किया जाएगा। लोगों की घरों की छत से होकर गुजरे तार हटाए जाएंगे।
पंकज त्रिपाठी, एक्सईएन, जीडीए