- गोरखपुराइट्स ने दी सिगरेट और तम्बाकू की लत को मात
GORAKHPUR : तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट। लोगों की जिंदगी से खेलने वाली इन चीजों का कारोबार लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सरकारें भी इस पर रोक लगाने में अब तक नाकाम साबित हुई हैं। एक स्टडी के मुताबिक तम्बाकू हर घंटे 2500 लोगों की जान ले रहा है। इस पर काबू पाने के लिए तरह-तरह की च्यूइंग गम, टॉफी और न जाने क्या-क्या चीजें मार्केट में अवेलबल हैं, लेकिन सभी तम्बाकू पर रोक लगाने में नाकाम रही हैं। इस बड़े चैलेंज से निपटने के लिए यूं तो कई लोगों ने कदम आगे बढ़ाए, लेकिन सभी को कामयाबी नहीं मिल सकी। इन सबके बीच सिटी में कुछ ऐसे लोग भी मौजूद हैं, जिनकी विल पॉवर के सामने उनकी लत ढेर हो गई और वह अपनी इस कमजोरी पर काबू पाने में कामयाब रहे। गोरखपुर के रहने वाले इन मजबूत लोगों ने आई नेक्स्ट से अपने एक्सपीरियंस शेयर किए।
लाइफ पार्टनर के सहयोग से छूटी बुरी आदत
तम्बाकू, सिगरेट की लत किस कदर खतरनाक है यह बात किसी से छुपी नहीं है। मैं भी कभी इस लत का शिकार रह चुका हूं। बात 1994 की है, जब मैं ग्रेजुएशन कर रहा था। इस दौरान मेरे फ्रेंड सर्किल में काफी स्मोकर्स थे। दोस्तों के साथ रहना है तो भला न कहां से हो सकता है। बस दोस्तों का साथ न छूटे, इस मजबूरी ने मुझे भी इसका आदी बना दिया। धीरे-धीरे जब प्रोफेशनल लाइफ में एंट्री की तो खाली वक्त काटने के लिए स्मोकिंग आदत में शुमार हो गई। हालत यह हो गई कि दिन भर में तीन पैकेट सिगरेट पीने लगा। 2000 में रत्ना रॉय चौधरी मेरी जिंदगी में आई। आई रियली थैंक्स टू माई वाइफ कि उसकी वजह से मेरी जिंदगी की सबसे बुरी आदत छूट गई। शुरुआती दिनों में तो उसने कुछ नहीं बोला, लेकिन शादी के कुछ सालों के बाद जब मेरी सिगरेट की तादाद बढ़ने लगी, तो उसने टोकना शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद मुझे खांसी की प्रॉब्लम शुरू हो गई। इसके साथ ही सांस भी फूलने लगी जिसे देखते हुए मैंने इसे छोड़ने की ठानी और फौरन ही सिगरेट त्याग दी। लोगों से सुना था कि एकाएक सिगरेट या कोई नशा छोड़ने से काफी प्रॅब्लम फेस करनी पड़ती है, लेकिन मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैं सिगरेट को हाथ नहीं लगाता, लेकिन न तो मुझे कोई कमजोरी है और न ही किसी तरह की प्रॉब्लम।
- पंकज रॉय चौधरी, मैथ्स फैकल्टी, गुरुकुल सीए-सीएस
डर ने छुड़ा दी सिगरेट की लत
स्मोकिंग के साइड इफेक्ट तो काफी सुने हैं। आए दिन लोग इसके बारे में बातें करते मिल जाते हैं। सही मायने में इसकी क्या हकीकत है, इसे मैंने बिल्कुल करीब से देखा है। मैं भी चेन स्मोकर हुआ करता था। वकालत का पेशा है, इसलिए खाने-पीने के दौरान चार लोग साथ देने वाले भी मिल जाते हैं। बात जब स्मोकिंग की हो तो इसके लिए तो काफी लोग राजी हो ही जाते हैं। दोस्तों संग मैंने भी खूब सिगरेट के छल्ले उड़ाए हैं। ग्रेजुएशन में पहुंचने के साथ ही मैं भी इस लत का शिकार हो गया था। जिदंगी गुजरती रही और मुझे इस लत ने पूरी तरह से अपनी गिरफ्त में ले लिया। इस आदत को छुड़वाने में इस कचहरी का अहम रोल है। जहां पर मैं बैठा हूं, वहीं एक वकील साहब बैठा करते थे, उन्हें भी स्मोकिंग की जबरदस्त लत थी। उनके लिए यह लत जानलेवा साबित हुई और स्मोकिंग ने उनकी जान ले ली। इसकी वजह से मेरे अंदर भी खौफ पैदा हो गया। इसके बाद मैंने महसूस किया कि सिगरेट पीने की वजह से मेरा मिजाज चिड़चिड़ा होता जा रहा है। इसके बाद मुझे मसूड़ों में तकलीफ भी महसूस होने लगी। साथ के कुछ लोगों को कैंसर की शिकायत थी, इसलिए मुझे इसका डर सताने लगा। बिगड़ते मिजाज और तबीयत को देखते हुए मैंने सिगरेट को छोड़ने का डिसीजन लिया। आज करीब 5-6 बरस बीत चुके हैं, लेकिन मैंने सिगरेट को हाथ नहीं लगाया है।
- इबादुल्लाह खान, एडवोकेट
तकलीफ ने छुड़ाई तम्बाकू की लत
यूं तो मुझे कोई खराब आदत नहीं थी, लेकिन सात-आठ साल पहले तम्बाकू खाने की लत लग गई। दिन भर में कई बार तम्बाकू खा लिया करता था। धीरे-धीरे आदत इतनी ज्यादा पड़ गई कि न खाने की कंडीशन में थोड़ा बेचैनी से होने लगती। वकालत करता हूं, इसलिए दोस्त-यार यहीं आ जाते हैं। तम्बाकू की लत मुझे कुछ यूं लगी कि जो भी दोस्त आते, वह अपने साथ मेरे लिए भी तम्बाकू लेकर आते। एक तरह से मैं पूरी तरह से इस लत की गिरफ्त में आ चुका था। पहले तो मुझे इससे कोई परेशानी नहीं हुई, जिसकी वजह से इसका सेवन भी काफी बढ़ गया। दिन भर में कई बार मैं इसको यूज करने लगा। धीरे-धीरे प्रॉब्लम ने पांव पसारने शुरू किए। पहले तो जबान पर किसी चीज का टेस्ट मिलना बंद हो गया। कुछ भी खाओ, वह टेस्टलेस ही लगता था। वक्त बीतने के साथ ही मुंह में तकलीफ भी शुरू हो गई। इसकी वजह से पहले तो मैंने इसे कम किया, फिर 2007 के बाद से मैंने इसे पूरी तरह से छोड़ दिया। अब हालत यह है कि मैं इसे छूता भी नहीं हूं, वहीं अगर कोई आस-पास खाते दिख जाता है, तो उसे वहां से हट जाने के लिए कह देता हूं। अब मैं सभी को इससे दूर रहने के लिए भी ताकीद करता हूं, जिससे कि किसी की जिंदगी जरा से मजे के लिए बर्बाद न हो जाए।
शिवयत्न भारती, एडवोकेट